इंदौर : कानून की अपनी सीमाएं ऐसी होती है , जिन्हें लांघना सरकारी कर्मचारियों के लिए मुश्किल होता है.इसी बात का बेजा फायदा उठाते हुए नोटबंदी के दौरान 8 नवंबर को (नोटबंदी की रात) कालेधन से सोना खरीदने वालों तक आयकर विभाग नहीं पहुँच सका है . क़ानूनी मजबूरियों के चलते अन्वेषण अधिकारियों ने सोना खरीदने वालों के सामने घुटने टेकते हुए मान लिया है कि ऐसे लोगों पर कार्रवाई करना संभव नहीं है.
बता दें कि इसके पहले आयकर विभाग ने बड़े -बड़े दावे किये थे कि ऐसे खरीदार बच नहीं सकेंगे. लेकिन साल भर बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई.अब प्रिंसिपल डायरेक्टर इन्वेस्टिगेशन आरके पालीवाल ने कहा कि वर्तमान कानून के तहत दो लाख रुपए तक का सोना नकद खरीदने की छूट है. खरीदने-बेचने वालों ने कानून का लाभ लेते हुए जानबूझकर सीमा के अंदर के बिल बनाए. ऐसे में कोई कानून से आगे जाकर कार्रवाई नहीं कर सकता.
इस बारे में विशेषज्ञों और सीए की यह बात सही लगती है कि नोटबंदी के बाद सोना बिक्री और फिर रिकॉर्ड व्यवस्थित करने के लिए ज्वेलर्स को अच्छा-खासा समय मिल गया.दो महीने से ज्यादा के समय में तो ज्वेलर्स ने अपने खाता -बही सब ठीक कर लिए .सीसीटीवी के फुटेज भी हटा दिए . बाद में आयकर की टीम ज्वेलर्स के यहां जांच के लिए पहुंची भी लेकिन कोई सुराग नहीं मिला.
यह भी देखें
पैन कार्ड आवेदकों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि
आयकर विभाग ने केडिया ग्रुप के ठिकानों पर छापा मारा