अपने जीवन में सभी व्यक्ति खूब धन कमाना चाहते है, जिसके लिए वह बहुत मेहनत भी करते है किन्तु कई बार वह कुछ ऐसे रोग से ग्रसित हो जाते है की उनके द्वारा कमाया गया धन रोग के उपचार में खर्च हो जाता है. इसलिए व्यक्ति को धन कमाने के साथ-साथ स्वास्थ का भी ख्याल रखना जरूरी होता है. जब किसी व्यक्ति का कोई रोग जल्दी ठीक नहीं होता है तो वह उसके उपचार के साथ-साथ ज्योतिष की सलाह भी लेता है और उसका यही एक सवाल होता है की वह कब ठीक होगा? व्यक्ति के हर सवाल का जावाब ज्योतिष शास्त्र में दिया गया है. ज्योतिष शास्त्र का एक विषय प्रश्न कुंडली है, प्रश्न कुंडली से तात्पर्य उस कुंडली से होता है जो व्यक्ति के द्वारा पूछे गए सावाल के आधार पर बनाई जाती है. यह कुंडली सवाल पूछे जाने के समय को लेकर बनाई जाती है और उसी के आधार पर उत्तर दिया जाता है. आइये जानते है कि व्यक्ति के इस सवाल का जवाब क्या है? की वह कब ठीक होगा.
नक्षत्र के आधार पर रोग की अवधि
व्यक्ति के नक्षत्र के आधार पर किसी रोग के ठीक होने न होने का पता लगाया जाता है इसके लिए जरूरी है की व्यक्ति के रोग का समय ज्ञात हो यानी वह प्रथम बार कब रोग ग्रस्त हुआ था. उसी समय के नक्षत्र के आधार पर उसकी स्थिति का पता लगाया जा सकता है. इन नक्षत्रों स्वाति,ज्येष्ठा,पूर्वाषाढ़,पूर्वाभाद्रपद,पूर्वाफाल्गुनी,आर्द्रा और विश्लेषा में जो व्यक्ति रोग से ग्रसित होता उसका रोग ठीक नहीं होता और उसकी मृत्यु हो जाती है.
रेवती और अनुराधा नक्षत्र में प्रारंभ रोग अधिक समय तक रहता है और बहुत कष्टदायक होता है.
भरणी,श्रावण,शतभिषा और चित्रा में प्रारंभ रोग 11 दिन तक रहता है.
विशाखा,हस्त और घनिष्ठा का रोग 15 दिनों तक रहता है.
मूल कृतिका और अश्वनी में जो रोग प्रारंभ होता है वह 9 दिनों का होता है.
मघा का रोग 7 दिन और म्रग्शिरा,उत्तराषाढ़ का रोग एक माह तक होता है.
अन्य जो बाकी के नक्षत्र बचे है उनमे प्रारंभ होने वाले रोग जल्द ठीक हो जाते है.
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