बुधवार को मुंबई में हुए एक समारोह में बोलते हुए, BCCI के पूर्व मुख्य चयनकर्ता दिलीप वेंगसरकर ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि, 2008 के अंडर-19 विश्वकप विजेता टीम के कप्तान कोहली और एस. बद्रीनाथ को लेकर जब मैंने विराट कोहली को ज्यादा तवज्जों दी तो इसका खामियाजा मुझे अपना पद गंवाकर भुगतना पड़ा. दरअसल उस समय श्रीलंका दौरा नजदीक था और वेंगसरकर मुख्य सेलेक्टर थे, जो अन्य सदस्यों के साथ विराट कोहली को चयनित करने के पक्ष में थे.
वेंगसरकर ने कहा, 'मुझे लगा कि कोहली को टीम में शामिल करने का वह सही समय था. अन्य चार चयनकर्ता भी मेरे फैसले से सहमत हुए, हालांकि गैरी कर्स्टन और महेंद्र सिंह धोनी असहमत थे, क्योंकि उन्होंने कोहली को ज्यादा नहीं देखा था. मैंने उन्हें बताया कि मैंने उसे देखा है और हमें उसे टीम में शामिल करना होगा.' उन्होंने कहा, 'मुझे पता था कि वे टीम में एस बद्रीनाथ को रखने के इच्छुक थे, क्योंकि वह चेन्नई सुपर किंग्स का खिलाड़ी था. यदि कोहली टीम में होते तो बद्रीनाथ को बाहर रखना होता. उस समय श्रीनिवासन बीसीसीआई के कोषाध्यक्ष थे. वह परेशान थे कि बद्रीनाथ को हटा दिया गया क्योंकि वह उनका खिलाड़ी था.'
वेंगसरकर ने आगे कहा, 'श्रीनिवासन ने मुझसे पूछा कि किस आधार पर बद्रीनाथ को बाहर रखा गया है, मैंने उन्हें बताया कि मैंने कोहली को ऑस्ट्रेलिया में बल्लेबाजी करते देखा है, वह असाधारण खिलाड़ी है और इसलिए वह टीम में हैं. उन्होंने तर्क दिया कि बद्रीनाथ ने तमिलनाडु के लिए 800 से अधिक रन बनाए हैं. मैंने उससे कहा कि उसे मौका मिलेगा. फिर उन्होंने पूछा, 'उसे मौका कब मिलेगा? वह पहले से ही 29 का है.' मैंने उन्हें बताया कि उसे मौका मिलेगा लेकिन कब ये मैं आपको नहीं बता सकता. इसके अगले ही दिन श्रीनिवासन, श्रीकांत को लेकर तब के बीसीसीआई अध्यक्ष शरद पवार के पास गए और तभी मेरा कार्यकाल समाप्त हो गया.
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