हमारे शास्त्रों में कई प्रकार के उपाय बताए गए है जिनका पालन करके व्यक्ति अपने जीवन को खुशहाल बना सकता है. देवों के देव महादेव जो बहुत भोले है जल्द ही अपने भक्तों पर प्रसन्न होकर उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण करते है. किन्तु यदि कुपित हो जाएँ तो अपने तीसरे नेत्र को खोलकर सब भस्म भी कर देते है.
शिव पुराण के अनुसार व्यक्ति केद्वारा किया गया कोई भी कार्य भगवान् शिव से छुपा नहीं होता.वह व्यक्ति के मन की बात भी जान लेते है और यदि व्यक्ति के कर्म बुरे होते है तो भगवान् शिव उसे क्षमा भी नहीं करते वह व्यक्ति हमेशा शिव कोप का भाजन बनता है जो कुकर्म और अधर्म की राह पर अग्रसर होता है यह व्यक्ति अपने जीवन में कभी भी सुखी नही रह सकता. आज हम आपको कुछ ऐसे कर्मो के विषय में जानकारी देंगे जो व्यक्ति को पाप के मार्ग पर ले जाती है और इन कर्मो को करके व्यक्ति पाप का भागीदार बनता है तथा इन्ही कर्मो की वजह से उसे नर्क में यातनाएं भी भोगना पड़ता है.
यदि कोई व्यक्ति पराये पुरुष या पराई नारी पर कुद्रष्टि डालता है तो उसका ये कर्म पाप की श्रेणी में आता है.
पराये धन पर भी अपना अधिकार जाताना भी भगवान् शिव की नजर में पाप कहलाता है.
किसी बेबस लाचार व्यक्ति का उपहास करना एवं उसे कष्ट पहुचना भी पाप माना गया है.
जो व्यक्ति अपना हित साधने के लिए दूसरों को कष्ट देता है एवं अनुचित मार्ग अपनाता है वह भी पाप कर्म का भागी बनता है.
जो व्यक्ति अकारण ही किसी का दिल दुखाता है उसे अपमानित करता है एवं उसे कष्ट पहुंचाता है वह भी पाप का भागी बनता है.
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