भगवान सूर्य का विशेष दिवस रविवार माना जाता है। सूर्य आराधना करने से जातक के रोगों का नाश होता है, उसे ऐश्वर्य, सुख, धन - धान्य की संपन्नता प्राप्त होती है। यही नहीं जातक तेजस्वी होता है। इस दौरान भगवान सूर्य की आराधना का विशेष महत्व है। भगवान सूर्य को अध्र्य देने से जहां मानसिक शांति मिलती है वहीं आत्मविश्वास बढ़ता है। जातक सुखी व समृद्धशाली होता है। दरअसल सूर्य को अध्र्य देने से भगवान सूर्य की किरणों से सकारात्मक किरणों का विकास होता है।
ऐसे में शरीर और इसके आसपास सकारात्मक शक्ति जागृत होती है और नकारात्मकता का नाश होता है। भगवान सूर्य की कृपा से बड़े से बड़े अनिष्ट भी टल जाते हैं। भगवान सूर्य को अध्र्य देने के लिए एक तांबे के पात्र में लाल चंदन, लाल पुष्प, अक्षत डालकर ऊं सूर्याय नमः मंत्र का जप करने से सकारात्मक घटनाऐं घटने लगती हैं। ऐसे में भगवान सूर्य आयु, धन - धान्य से संपन्न होने का संतानोत्पत्ती का और तेज के साथ यश का वरदान भी देते हैं।
भगवान की कृपा से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति भी होती है। इसके लिए सूर्य को अध्र्य देने वाले जल में कुमकुम डालना लाभप्रद होता है। कालपी एक ऐसा क्षेत्र है जहां यमुना तट पर सूर्य आराधना लाभप्रद मानी जाती है। यहां भगवान श्री कृष्ण के पुत्र शांब को दुर्वासा ऋषि के श्राप के चलते कुष्ठ रोग हो गया था। मगर वे मकरंजनगर के सूर्यकुंड में स्नान कर कुष्ठ रोग से मुक्त हो गए।
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