जज दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग के प्रस्ताव को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने नाकार दिया है. उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने इसके पीछे का कारण तकनीकी खामियों का होना बतलाया. प्रक्रिया में उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस समेत अन्य दलों की इस मांग को लेकर रविवार को अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल सहित संविधानविदों और कानूनी विशेषज्ञों के साथ विचार-विमर्श किया था. वेंकैया ने कहा कि यह राजनीति से प्रेरित कदम था. कुल 71 सांसदों में से 7 ऐसे सांसद है जो रिटायर हो चूके है. अपने 20 पन्नों के जवाबी लेख में नायडू ने कई खामियों का जिक्र किया है.
राज्यसभा सचिवालय के सूत्रों के अनुसार नायडू ने इसे लेकर संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव पी.के. मल्होत्रा सहित अन्य विशेषज्ञों से कानूनी राय ली गई थी. विपक्षी दलों के इस नोटिस पर फैसला लेते हुए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने इसे सिरे से नकार दिया.
गौरतलब है कि मामले पर नायडू ने हैदराबाद के अपने कुछ कार्यक्रमों को रद्द कर कानूनविदों के साथ बैठक की थी और लोकसभा के पूर्व महासचिव सुभाष कश्यप, पूर्व विधि सचिव मल्होत्रा और विधायी मामलों के पूर्व सचिव संजय सिंह से नायडू ने इस मुद्दे पर विचार-विमर्श किया था.
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