इंदौर: हिन्दू मान्यता के अनुसार हनुमानजी, माता अंजनी और वानर राज केसरी के पुत्र हैं। वहीं हनुमानजी को कलियुग में सबसे प्रमुख देवता माना जाता है। जानकारी के अनुसार बता दें कि श्रीराम के अनन्य भक्त हनुमानजी को माता सीता ने अजर-अमर रहने का आशीर्वाद दिया था। वहीं कलियुग में सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवताओं में से एक हैं हनुमानजी।
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यहां बता दें कि इनके कुछ ऐसे मंदिर हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि यहां आकर हनुमानजी की पूजा अर्चना करने से आपकी हर मुराद पूरी हो जाती है। वैसे तो इनके मंदिरों की संख्या काफी अधिक है, लेकिन कुछ मंदिर अपनी विचित्र विशेषताओं के कारण काफी प्रसिद्ध हैं। यहां बता दें कि ऐसा ही एक मंदिर स्थित है मध्य प्रदेश के इंदौर के पास सांवेर में, जहां सांवेर के इस मंदिर में हनुमानजी की उलटी प्रतिमा स्थित है। इसे पाताल विजय हनुमान मंदिर कहा जाता है।
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जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें..
1. इंदौर और उज्जैन के बीच स्थित है ये मंदिर
2. उलटे हनुमानजी का मंदिर इंदौर और उज्जैन के बीच स्थित है। इंदौर से इस मंदिर की दूरी करीब 30 किमी है।
3. इंदौर-उज्जैन पहुंचने के लिए देश के सभी बड़े शहरों से आवागमन के कई साधन आसानी से मिल जाते हैं। आप इंदौर हवाई मार्ग से भी पहुंच सकते हैं।
4. मंदिर में है सिंदूर लगी उलटी प्रतिमा
5. सांवेर में हनुमानजी के उलटे चेहरे वाली सिंदूर लगी प्रतिमा है। यहां प्रचलित मान्यता के अनुसार इस मंदिर की कथा रामायण काल से जुड़ी है।
6. मंदिर में पीपल, नीम, बरगद के साथ ही दो पारिजात के वृक्ष भी हैं। पारिजात वृक्ष में हनुमानजी का भी वास माना जाता है।
7. मंदिर में तोतों के कई झुंड
8. मंदिर के आसपास के वृक्षों पर तोतों के कई झुंड दिखाई देते हैं। इस बारे में कथा प्रचलित है कि हनुमानजी ने एक बार तोते का रूप धारण किया था।
9. जब तुलसीदासजी को श्रीराम के दर्शन करना थे, तब हनुमानजी ने तोते का रूप धारण कर उन्हें श्रीराम के दर्शन कराए थे। इस कारण यहां तोतों को भी पूजनीय माना जाता है।
10. सांवेर के उलटे हनुमान मंदिर में श्रीराम, सीता, लक्ष्मणजी के साथ ही शिव-पार्वती की मूर्तियां भी हैं। यहां मान्यता है कि लगातार तीन या पांच मंगलवार दर्शन करने से भक्त की मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
ये है मंदिर से जुड़ी प्रचलित कथा
रामायण काल में अहिरावण ने श्रीराम और लक्ष्मण का अपहरण कर लिया था। अहिरावण उन्हें बंदी बनाकर अपने पाताल लोक ले गया था। उस समय हनुमानजी ने पाताल लोक जाकर अहिरावण का वध किया और श्रीराम-लक्ष्मण की रक्षा की थी।
क्षेत्र में मान्यता प्रचलित है कि ये वही स्थान है, जहां से हनुमानजी ने पाताल लोक में प्रवेश किया था। इसीलिए यहां उलटे हनुमान की मूर्ति स्थापित है।
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