यूं तो देशभर में शनिदेव के कई जागृत स्थान हैं इन क्षेत्रों में से शनि शिंगणापुर विशेष तौर पर जाना जाता है। कहा जाता है कि यहां घरों में ताले नहीं लगते हैं और भगवान शनि देव एक शिला के माध्यम से श्रद्धालुओं को दर्शन देते हैं। मगर भगवान शनि देव का एक और जागृत स्थल है। जिसे नवग्रह शनि मंदिर कहते हैं। यह मंदिर भी बेहद जागृत है। मध्यप्रदेश के सांस्कृतिक शहर उज्जैन में यह मंदिर प्रतिष्ठापित है। मंदिर की महिमा इतनी निराली है कि देशभर से बड़े पैमाने पर श्रद्धालु यहां दर्शनों के लिए उमड़ते हैं। इस मंदिर में भगवान शनिदेव का प्रधान स्वरूप में पूजन होता है लेकिन परिक्रमा मार्ग में अन्य 12 ग्रह विराजमान हैं।
भगवान शनि देव यहां शिला स्वरूप में विराजमान हैं साथ ही शिलाओं के सामने शिवलिंग प्रतिष्ठापित है। इस शिवलिंग पर भी श्रद्धालु तेल, काले तिल, उड़द, काला कपड़ा आदि चढ़ाते हैं। विशेष बात यह है कि मंदिर में कई अवसरों पर मेला लगता है। शनिश्चरी अमावस्या और विभिन्न अमावस्याओं पर यहां स्नान, पूजन और ध्यान का आयोजन होता है।
श्रद्धालु सुबह से ही यहां पर मोक्षदायिनी मां शिप्रा के पवित्र जल में स्नान कर पुण्यलाभ लेते हैं। 84 महादेव की आराधना के लिए की जाने वाली पंचक्रोशी यात्रा के दौरान भी यह श्रद्धालुओं का पड़ाव स्थल होता है। विशेष बात यह है कि यहां पर श्रद्धालु स्नान और पूजन के बाद पनौती के तौर पर अपने जूते - चप्पल छोड़ जाते हैं दूसरी ओर श्रद्धालु पुराने वस्त्र त्याग कर नए वस्त्र भी धारण करते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से उनकी दरिद्रता और कष्ट दूर होते हैं। भगवान शनि देव के इस धाम में अमावस्या, शनि जयंती पर मेला उमड़ता है। श्रद्धालु भगवान को तेल, काले तिल, काला कपड़ा आदि अर्पित करते हैं।
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