नई दिल्ली: 2019 में होने वाले चुनावों के लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है, नई रणनीतियों पर विचार के साथ, चुनाव प्रचार की भी शुरुआत हो चुकी है. अब जब सवाल चुनाव प्रचार का है तो कोई भी पार्टी इसमें कंजूसी नहीं करना चाहती, सभी दल अपना प्रचार करने में पानी की तरह पैसा बहाने को तैयार हैं. सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक कयास लगाए जा रहे हैं कि 2019 के चुनाव में राजनितिक दल जमकर धन खर्च करेंगे.
रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में भी भारतीय राजनीतिक दलों ने चुनावी प्रचार में जो रकम खर्च की थी, वो 33 हज़ार करोड़ रूपए से भी ज्यादा थी. चुनावी खर्च के मामले में भारत ने दुनिया के धनी देशों में से एक अमेरिका को भी पीछे छोड़ दिया है. रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका में 2012 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान चुनावी खर्च कुल 27 हज़ार करोड़ रूपए हुआ था, जो भारत के चुनावी खर्च से कम है. वहीं 2016 में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के दौरान यह खर्च बढ़कर 44 हज़ार करोड़ पहुँच गया था, इसको देखते हुए माना जा रहा है कि 2019 चुनाव में भी भारत में चुनावी खर्च अमेरिका से ज्यादा होगा.
आपको बता दें कि नियमों के मुताबिक राजनैतिक दलों को चुनावी खर्च का ब्यौरा विधानसभा चुनाव होने के 75 दिन के अंदर और लोकसभा चुनाव होने के 90 दिन के अंदर देना होता है. लेकिन 2014 में चुनाव आयोग को करीब 20 पार्टियों को नोटिस जारी करना पड़ा था, क्योंकि वो अपने खर्च का ब्यौरा देने में आनाकानी कर रहे थे.
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