भारतीय नौसेना दिवस : जानिए ऐतिहासिक युद्ध और गौरवमयी इतिहास की कहानी

भारतीय नौसेना दिवस : जानिए ऐतिहासिक युद्ध और गौरवमयी इतिहास की कहानी
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नई दिल्ली : भारतीय नौसेना जो कि अपने जंगी जहाजी बेड़े और युद्धपोतों की शानदार शक्ति के लिए जानी जाती है। वह भारतीय नौसेना जो भारत की विशाल समुद्री सीमा की रक्षा करती रही है। वह नौसेना जो पाकिस्तान की ओर से आने वाली नावों पर अपनी पैनी नज़र रखती है। मगर से भी फुर्तीली पनडुब्बियों के सहारे गहरे समुद्र के अंदर से ही दुश्मन के जहाज का पता लगाकर उसे नष्ट करने की क्षमता रखती है।  भारतीय नौसेना ने जल सीमा में कई बड़ी कार्रवाइयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिनमें प्रमुख है जब 1961 में नौसेना ने गोवा को पुर्तगालियों से स्वतंत्र करने में थल सेना की मदद की।

इसके अलावा 1971 में जब भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ा तो नौसेना ने अपनी उपयोगिता साबित की। भारतीय नौसेना दिवस का इतिहास 1971 के ऐतिहासिक भारत और पाकिस्तान युद्ध से जुड़ा है। भारत द्वारा पाकिस्तान पर न केवल जीत हासिल की गई बल्कि इसी दिन भारत की नौसेना ने पूर्वी पाकिस्तान को स्वतंत्र करवाकर स्वायत्त राष्ट्र बांग्लादेश का दर्जा दिलवा दिया।

भारतीय नौसेना गौरवमयी इतिहास की याद में हर वर्ष 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाती है। आधुनिक भारतीय नौसेना की नींव 17 वीं शताब्दी में रखी गई। इस दौरान इस्ट इंडिया कंपनी ने समुद्री सेना के बेडे के तौर पर ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना की। बेडा द आॅनरेबल ईस्ट इंडिया कंपनीज़ मरीन कहलाता था। यह द बाॅम्बे मरीन भी कहलाया। प्रथम विश्व युद्ध के बाद नौसेना का नाम राॅयल इंडियन मरीन पड़ गया। मगर जब भारत का गणतंत्र बना तो भारतीय नौसेना के नाम से राॅयल हट गया और फिर उसे और भी प्रतिष्ठित दर्जा हासिल हुआ।

भारतीय नौसेना में 32 नौपरिवहन पोत और करीब 11 हजार नौसेनिक शामिल थे। 15 अगस्त 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ तो उसके पास पुराने बेड़े थे मगर बाद में रूस और अन्य देशों के सहयोग से भारत ने पनडुब्बियां, विध्वंसक युद्धपोत, फ्रिगेट जहाज, काॅर्वेंट जहाज आदि का उपयोग किया। भारतीय नौसेना का मुख्यालय नईदिल्ली में है मगर भारत के सामरिक महत्व के लिहाज से मुंबई विशाखापत्तनम बहुत महत्वपूर्ण हैं।

26/11 के आंतकी हमलों के बाद से भारतीय नौसेना के लिए मुंबई का अरब सागर बहुत ही महत्वपूर्ण हो गया दरअसल आतंकी यहीं के सामुद्रिक मार्ग से भारत में दाखिल हुए थे। भारत रक्षा एवं अनुसंधान संगठन के माध्यम से स्वयं के युद्धपोत, पनडुब्बियां विकसित करने की दिशा में बढ़ा है।

भारत के पास आईएनस विक्रमादित्य, आईएनएस विक्रांत जैसे लड़ाकू पोत रहे हैं जो भारत की सामुद्रिक सीमा की रक्षा करते हैं। समुद्र से होने वाली तस्करी को भी कोस्टगार्डस रोकते हैं। सुनामी आने के दौरान कोस्टगार्डस की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका रही।

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