भारतीय महिला हॉकी टीम ने इसी साल एशिया हॉकी कप जीता है, टीम ने अपने अगले टूर्नामेंट के लिए भी जोरो से तैयारी में जुटी है. अगले साल होने वाले टूर्नामेंट के लिए महिला हॉकी टीम मौजूदा शिविर में मानसिक दृढ़ता को मजबूत करने के लिए न्यूरोट्रैकर कार्यक्रम का उपयोग कर रही है. इससे पहले भी अक्टूबर में प्रायोगिक आधार पर इसका उपयोग किया गया था. यह कार्यक्रम अमेरिका और कनाडा में काफी लोकप्रिय है, जिसका उपयोग एनएफएल, एनबीए, ईपीएल और ओलिंपिक खिलाड़ी भी करते है.
भारतीय महिला हॉकी टीम के कोच हरेंद्र सिंह ने कहा कि ''हमने अक्टूबर में प्रायोगिक आधार पर न्यूरोट्रैकर का इस्तेमाल किया था, लेकिन अब रोज इसके सत्र हो रहे हैं. खिलाड़ियों की एकाग्रता बढ़ाने के लिए इसका प्रयोग होता है. मैच के वास्तविक नतीजों से इसके महत्व का पता चलेगा, लेकिन तैयारी के दौरान मुझे खिलाड़ी अधिक फोकस नजर आ रहे हैं.''
टीम की कप्तान रानी ने कहा कि ''अगले साल हमें राष्ट्रमंडल खेल, एशियाई चैंपियंस ट्रोफी, एशियाई खेल और वर्ल्ड कप जैसे बडे़ टूर्नमेंट खेलने हैं और बड़ी टीमों के खिलाफ मानसिक तैयारी भी शीर्ष स्तर की होनी चाहिए. 4-5 खिलाड़ी रोज 15 से 20 मिनट के न्यूरोट्रैकर सत्र में जाते हैं. इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं. इसके तहत खिलाड़ियों को थ्री डी स्क्रीन के सामने थ्री डी चश्मे पहनकर बैठना होता है. स्क्रीन पर 8 गेंद घूम रही होती है, जिनमें चार नारंगी और चार हरे रंग की होती हैं. खिलाड़ियों को नारंगी रंग की गेंद पर फोकस करने को कहा जाता है और उनसे पूछा जाता है कि ये गेंद कहां जाती हैं. इससे उन्हें फोकस करने में मदद मिलती है.''
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