सामने आई पीएनबी की असंवेदनशीलता

सामने आई पीएनबी की असंवेदनशीलता
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मुंबई : नीरव मोदी के 13 हजार करोड़ के बैंक घोटाले से बदनाम हो चुके पंजाब नेशनल बैंक के आर्थिक अनुशासन की पोल तो पहले ही खुल गई थी, लेकिन अब बैंक का ऐसा निर्मम चेहरा सामने आया है, जिसमें उसने मानवीयता को ताक में रख दिया. बिस्तर पर लकवाग्रस्त होकर पड़े जरूरतमंद खातेदार को समय पर उसके खाते में जमा 25 हजार की राशि नहीं पहुंचाई और उसकी मौत हो गई. बैंकों के पेचीदा नियम कैसे किसी व्यक्ति की जान ले लेते हैं.यह उसकी मिसाल है .विरोधस्वरूप परिजन मृतक के शव को लेकर बैंक पहुँच गए.

मानवीय संवेदनाओं के शुष्क होने की यह घटना मुंबई के उल्हासनगर की है .पंजाब नेशनल बैंक के खाताधारक गणेश कांबले को दिसंबर में लकवा लगने पर दो महीने पहले केईएम अस्पताल में भर्ती किया गया था.कांबले की बहन महानंदा यादव ने बताया कि बैंक से उनके खाते में जमा 25 हजार रुपए निकालने के लिए बार -बार बैंक के चक्कर काट रहे थे, क्योंकि इलाज के लिए रुपयों की सख्त जरूरत थी.जबकि बैंक वालों ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि कांबले का व्यक्तिगत खाता है और उसके बिना कोई उसके खाते के पैसे कोई नहीं निकाल सकता.

बता दें कि बैंक वाले खाताधारक के हस्ताक्षर की मांग करते रहे जबकि वह तो अस्पताल में बेहोश पड़ा था. सबूत के तौर पर परिवार वालों ने की फोटो खींच कर भी बैंक अधिकारियों को दिखाई तो उन्होंने अस्पताल आकर उसके हस्ताक्षर लेने की बात कही, लेकिन नहीं आए. गणेश कांबले की मौत हो गई.इसके बाद परिजन बैंक वालों की आत्मा को झकझोरने के लिए अपने भाई के शव को लेकर पीएनबी की शाखा पहुँच गए.वह यह दिखाना चाहते थे कि अगर वे समय पर राशि दे देते,तो हम अपने भाई को बचाने के लिए कुछ कर सकते थे.जबकि दूसरी ओर पीएनबी बैंक के अधिकारी सोमनाथ सरोडे ने कहा कि हम खाताधारक के अलावा और किसी को पैसे नहीं दे सकते.मानवता के नाते हम उससे मिलने अस्पताल तक जा सकते थे लेकिन उसी दिन उसकी मौत हो गई.मृतक के नॉमिनी को उक्त राशि सौंप दी है.

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