इंस्पेक्टर की समझदारी से बची युवक की जान

इंस्पेक्टर की समझदारी से बची युवक की जान
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मौत और आत्महत्या के कई ऐसे मामले सामने आते है जिसमे इंसान की मौत नहीं होती है लेकिन उसे मरा  हुआ मान लिया जाता है, लोग उन्हें अंतिम संस्कार के लिए भी ले जाते है और फिर पता चलता है कि वह इंसान जिन्दा है. असल में मौत के मामलो में लोग यह तक चेक नहीं करते की मरने वाला इंसान वास्तव में मर चूका है या उसमे अभी जान बाकि है, ताकि उसे समय रहते अस्पताल पहुंचाया जा सके. हाल ही में एक पुलिस इंस्पेक्टर की सूझबूझ ने एक युवक की जान बचा ली. युवक ने फंखे से लटकर आत्महत्या की कोशिश की थी और लोगो ने उसे मरा हुआ समझ लिया था.

उल्लेखनीय है कि बाड़ा हिंदू राव के पुलिस थाने में पुलिस इंस्पेक्टर संजय कुमार को शनिवार शाम को लगभग छह बजे पीसीआर से सुचना मिली थी कि उनके इलाके में राजू नाम के युवक ने आत्महत्या कर ली है. उन्होंने तुरंत घटना सथल पर पुलिसकर्मियों और एंबुलेंस को पहुंचाया. कुछ देर में उन्हें सुचना मिली की वह युवक मर चूका है उसे मुर्दाघर ले जाया जा रहा है तो वह तुरंत घटना स्थल पर पहुंचे.

उन्होंने बताया कि "मैं जब पहुंचा तो 40-50 लोग वहां पहले से इकट्ठे हो चुके थे. मैंने देखा कि एक दुबला-पतला शख़्स बेडशीट को अपने गले से लपेटे पंखे से लटका हुआ है. मैंने जब देखा कि लड़के के पैर ज़मीन छू रहे थे तभी मुझे लगा कि वो मरा नहीं है. हमें ट्रेनिंग में बताया जाता है कि अगर फांसी के दौरान पैरों को कोई सपोर्ट न मिले तो मौत होनी तय है क्योंकि उससे गर्दन के पिछले हिस्से की हड्डी टूट जाती है. लेकिन इस मामले में लड़के के पैरों को ज़मीन का सहारा मिल गया था इसलिए मुझे उसके मरने पर शक़ था. मैंने तुरंत उसे पंखे से उतरवाया और उसके गले से फंदा खोला. गांठ खोलते ही मैंने उसकी नब्ज़ चेक की. नब्ज़ चल रही थी...बहुत धीरे-धीरे. लेकिन चल रही थी.''

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