संसार की उत्पत्ति से लेकर उसके अंत तक के काल 4 माने गए है जिसे 4 युग माना गया है इन सभी युगों में कई प्रकार की भिन्नता है. आज हम आपको इसी विषय में बताते है की यह 4 युग कौन से है और इन युगों की विशेषता क्या है.?
सतयुग – यह युग सात्विक गुणों से भरा होने के कारण इसे सतयुग के नाम से जाना गया है इस युग में सत्व गुणों की प्रधानता थी. इस युग में सभी विद्वान साधू संत होते थे जो अपना सम्पूर्ण जीवन भगवान् की भक्ति में व्यतीत करते थे इस युग में किसी भी दुर्भावना का जन्म नहीं हुआ था यही वह युग है जिसमे हिन्दू धर्म के महान ग्रंथ चार वेदों की रचना हुई जो दैवीय वाणी के अनुसार की गई. इस युग की आयु 172800 0 वर्ष मानी गई है.
त्रेतायुग – सतयुग के बाद त्रेतायुग आया जिसमे रजोगुण की प्रधानता थी. यह काल राज्य शासन उदय का काल भी माना जाता है जिसमे जनसँख्या में वृद्धि के कारण उन्हें व्यवस्थित करने के लिए राजा की नियुक्ति की गई. यही वह काल है जिसमे भगवान् विष्णु राम का अवतार धारण किया था और पृथ्वी को रावण के आतंक से मुक्त किया था. इस युग की आयु 1296000 वर्ष मानी गई है.
द्वापर युग – यह काल का तीसरा युग भी कहा जाता है यह काल भगवान् कृष्ण का जन्म काल है इस काल में हर प्रकार की बुराइयों का जन्म हो चुका था जिसके कारण महाभारत का युद्ध हुआ. इस युग की अवधि 864000 मानी गई है.
कलियुग – माना जाता है की यह काल का अंतिम युग है इस युग में बुराइयां अपने चरम पर होंगी जिसके अंत के लिए भगवान् को कल्कि अवतार धारण करना होगा. इस युग के बाद श्रष्टि का अंत नहीं होगा बल्कि पुनः सतयुग की स्थापना होगी.
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