मुस्लिम समाज में यह हैं नमाज़ का महत्व

मुस्लिम समाज में यह हैं नमाज़ का महत्व
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सभी धर्म के अपने कुछ नियम व मान्यताएं है, इन सभी धर्मों में एक विशेष समय ऐसा आता है, जिसमे अपने धर्म से सम्बंधित ईश्वर की पूजा विशेष रूप से की जाती है. इसी प्रकार मुस्लिम धर्म में भी रमजान का महीना बहुत पवित्र माना जाता है. इस माह में मुस्लिम धर्म के लोगों में रोजा रखने का विधान है. आइये जानते है इससे सम्बंधित कुछ विशेष बातें जो रोजा रखने वाले व्यक्ति के लिए आवश्यक है.

रोजा रखने का महत्व- मुस्लिम धर्म में व्यक्ति के रोजा का अर्थ यह नहीं कि कुछ भी न खाएं अपितु यह मुबारक माह तो आपसी एकता और सभी प्रकार के गिले शिकवों को दूर कर आपसी प्रेम भावना का विकास करना है. इस माह में जो व्यक्ति रोजा रखता है, उसे किसी भी प्रकार की अश्लील बातें व बुरे कार्यों से दूर रहने की हिदायत दी जाती है व किसी बेसहारा मजबूर लाचार व्यक्ति की सहायता भी करना इसका मकसद होता है.

मुस्लिम धर्म में नमाज का महत्व- मुस्लिम धर्म के अनुसार सभी को नमाज पढ़ना अनिवार्य है, नमाज शब्द की उत्पत्ति फ़ारसी शब्द से हुई है. जब मुस्लिम धर्म का सबसे पवित्र महीना रमजान चलता है, उस समय सभी को पांच समय की नमाज अदा करने की ताकत दी जाती है, तथा व्यक्ति को यह सोंचकर नमाज अदा करना चाहिए, जैसे यह उनकी अंतिम नमाज है. मुस्लिम धर्म में माना गया है, कि जो व्यक्ति नमाज अदा करता है, वह किसी भी प्रकार का गलत काम नहीं कर सकते, तथा जो दिन में पांच बार नमाज अदा करता है उसे समाज की सभी बुराइयों से दूर रहना चाहिए और किसी भी ऐसे शब्द का उपयोग नहीं करना चाहिए जिससे किसी दूसरे को तकलीफ हो.

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