मुलेठी रेशेदार, गन्धयुक्त मीठी लकड़ी का तना एवम छाल होती है, मुलेठी मीठी तथा ठण्डी होती है। यह खांसी में विशेष लाभकारी है। इससे कफ पिघलकर बाहर निकल जाती है। मुलहठी में 50 प्रतिशत पानी होता हैं। इसमें मुख्य घटक `ग्लिसराइजिन´ हैं, जिसके कारण यह खाने में मीठा होता है, जो 5 से 20 प्रतिशत विभिन्न प्रजातियों में पाया जाता है। मुलेठी बहुत गुणकारी औषधि है। मुलेठी के प्रयोग करने से न सिर्फ आमाशय के विकार बल्कि गैस्ट्रिक अल्सर में भी फायदा होता है। इसका पौधा 1 से 6 फुट तक होता है। यह स्वाद में मीठी होती है इसलिए इसे यष्टिमधु भी कहा जाता है। असली मुलेठी अंदर से पीली, रेशेदार एवं हल्की गंधवाली होती है। सूखने पर इसका स्वाद अम्लीय हो जाता है।
आइये जाने मुलेठी का अन्य लाभ :-
1 गले में खराश हो या खांसी, मुलेठी चूसने से इसमें राहत मिलती है।
2 मुलेठी को काली-मिर्च के साथ खाने से कफ ढीला होता है। सूखी खांसी आने पर मुलेठी खाने से फायदा होता है। इससे खांसी तथा गले की सूजन ठीक होती है।
3 इसमें पानी की मात्रा 50 प्रतिशत तक होती है। मुंह सूखने पर बार-बार इसे चूसें। इससे प्यास शांत होगी।
4 मुलेठी महिलाओं के लिए बहुत फायदेमंद है। मुलेठी का एक ग्राम चूर्ण नियमित सेवन करने से स्त्रियां अपनी योनि, सेक्स की भावना, सुंदरता को लंबे समय तक बनाये रख सकती हैं।
5 मुलहठी को पीसकर घी के साथ चूर्ण के रूप में हर तरह के घावों पर बांधने से शीघ्र लाभ होता है।
6 - 10-10 ग्राम मुलहठी विदारीकंद, तज, लौंग, गोखरू, गिलोय और मूसली को लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। इसमें से आधा चम्मच चूर्ण लगातार 40 दिनों तक सेवन करने से नपुंसकता का रोग दूर हो जाता है।
7 खाना खाने के बाद यदि खट्टी डकारें आती हैं, जलन होती है तो मुलहठी चूसने से लाभ होता है। भोजन से पहले मुलहठी के 3 छोटे-छोटे टुकड़े 15 मिनट तक चूसें, फिर भोजन करें।