नई दिल्ली : कर्नाटक के नतीजों ने यह बात तो साबित कर दी कि कांग्रेस के लिए 2019 के चुनाव में दिल्ली के तख़्त पर बैठना अभी भी दूर है. पीएम मोदी की लोकप्रियता को कम आंकना सभी राजनीतिक दलों खासकर कांग्रेस के लिए नुकसानदायक होगा. कर्नाटक चुनाव को तीन राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए के लिए बहुत अहम माना गया था, लेकिन अब यहां भी कांग्रेस की जीत आसान नहीं रह गई है.
दरअसल पिछले दिनों राजस्थान और मध्य प्रदेश के उपचुनाव स्थानीय थे जिसमें बीजेपी की हार ऐसी नहीं थी कि जिसे देशव्यापी समझा जाए.उससे हवा बदलने की आशा करना कांग्रेस की नासमझी थी. वहां भाजपा के खिलाफ वोटिंग हुई थी वह कांग्रेस के लिए नहीं थी.हालाँकि कांग्रेस ने भी बूथ प्रबंधन की कोशिश की लेकिन पूरी तरह सफलता नहीं मिली. इन नतीजों से यह भी स्पष्ट हो गया कि ऐसा कोई गठबंधन फिलहाल नहीं बन सकता. भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को पहले अपनी ताकत इकट्ठी करनी होगी. भाजपा नेतृत्व में राजग चुनाव पूर्व गठबंधन के साथ उतरेगा ऐसे में कांग्रेस और दूसरे दलों के लिए नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से लड़ना बेहद कठिन होगा.
जहां तक राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में होने वाले चुनावों का है, तो कांग्रेस आशा रख सकती है , लेकिन कर्नाटक से अलग यहां कांग्रेस का भाजपा से सीधा मुकाबला होगा जहां कोई बड़ी क्षेत्रीय पार्टी नहीं होगी.इन हालातों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के लिए बड़ी अग्नि परीक्षा होगी, क्योंकि एमपी और राजस्थान में बीजेपी लगातार तीन बार और राजस्थान में सत्ता में है.
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