कर्नाटक में लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की सिफारिश कांग्रेस के गले की हड्डी बनता नज़र आ रहा है और मामले को लेकर पार्टी में फूट दिखाई दे रही है. कांग्रेस विधायक शमनूर शिवशंकरप्पा और उनके बेटे और राज्यमंत्री एसएस मल्लिकार्जुन ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ खुलेआम विद्रोह करते हुए बीजेपी में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ने तक की तैयारी कर ली है. शिवशंकरप्पा मध्य कर्नाटक से वीरशैव-लिंगायत समुदाय के कद्दावर नेता है. शमनूर शिवशंकरप्पा अखिल भारतीय वीरशैव-लिंगायत समुदाय के अध्यक्ष भी हैं. शिवशंकरप्पा ने सोमवार को लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा दिए जाने की सिफारिश का स्वागत भी किया था. लेकिन अगले ही दिन उन्होंने यू-टर्न ले लिया.
उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, “मैंने सोमवार को जल्दबाज़ी में फैसले का स्वागत किया था. मुझे अब एहसास हो गया है कि यह एक गलती थी क्योंकि केंद्र सरकार को भेजे गए राज्य की सिफारिश ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जो कोई भी इस धर्म का पालन करेगा उसे अल्पसंख्यक माना जा सकता है. हम इसका विरोध कर रहे हैं क्योंकि वीरशैव संप्रदाय, बासवन्ना से पहले भी था, जिसने 12वीं सदी में लिंगायत धर्म की स्थापना की. हमें लगता है कि सरकार ने धोखा दिया है.'' इन नेताओं के विद्रोह के तुरंत बाद ही कर्नाटक में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा ने कहा कि कांग्रेस के एक बड़े नेता बीजेपी में शामिल हो सकते हैं.
कांग्रेस ने कहा "पिछली बार हमारी मांग खारिज कर दी गई थी. हमने सिफारिश की थी कि बासवा दर्शन को मानने वाले वीरशैव को धार्मिक अल्पसंख्यक माना जा सकता है.”मामला बड़े वोट बैंक से जुड़ा होने के कारण फ़िलहाल दोनों प्रमुख पार्टिया अपनी ओर से जोर लगा रही है, मगर कांग्रेस अपने ही जाल में फसती नज़र आ रही है और बीजेपी मौका परस्ती से चुकने के मूड में नहीं है.
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