कर्नाटक चुनाव प्रचार अब अंतिम चरण में है जिसमे पीएम मोदी अपनी पूरी शक्ति झोंक रहे है. सूत्रों के अनुसार प्रचार के खत्म होते ही पीएम का नेपाल के मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करने का कार्यक्रम पहले ही तय है. हिन्दू मंदिर में जाकर मतदान की तारीख से ठीक पहले की जाने वाली पूजा अर्चना का मतलब विपक्ष भी भलीभांति समझता है. सूत्रों के अनुसार प्रचार अभियान में बीजेपी ने अपने तरकश के सारे तीर आजमा लिए है और स्टार प्रचारकों की बड़ी फौज दक्षिण विजय की कवायद में जुटी है.
मगर इसके बावजूद नेपाल के मदिरों के गुम्बदों से हिंदुत्व की आवाज बुलंद करने के पैतरे को विपक्ष भांप चुका है और इसका विरोध भी दर्ज करवाने के मूड में है. मगर यहाँ प्रश्न यह उठता है कि क्या चुनाव आयोग और उनके नियम कायदे कानून सिर्फ विपक्ष के लिए है या चुनाव आयोग नियमों के पालन न किये जाने के खिलाफ कार्यवाई हेतु सदा नियमों से खिलवाड़ और विपक्ष की शिकायत का मोहताज है .
चुनाव आयोग के अपने संज्ञान पर भी प्रश्न चिन्ह है. पक्षपाती रवैये, EVM मुद्दे पर बीजेपी का साथ देने और भी कई मुद्दों पर विपक्ष की और से तरह तरह के आरोपों को झेलता चुनाव आयोग इस मुद्दे पर भी चुप क्यों है. आचार सहिंता के कायदे कानून के तहत विपक्ष पर सदा से सख्त रहने वाले चुनाव आयोग का पीएम के नेपाल मंदिर दर्शन को नजर अंदाज करना फ़िलहाल विपक्ष को नागवार गुजरा है.
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