आगामी 12 मई को कर्नाटक मे विधान सभा चुनावों के लिए वोटिंग की जाना है. कांग्रेस कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर कोई चांस नहीं लेना चाहती है और इस के लिए नई रणनीति के तहत राज्य के 65,000 बूथों पर दो कॉल सेंटर के जरिये नज़र रखने की योजना बना चूकि है. बैंगलोर और मैसूर में स्थापित किए गए ये साल सेंटर हैं, यह पहली बार है, जब अपने नए अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं, प्रतिनिधियों, बूथ कार्यकर्ताओं और जिला नेताओं से नियमित रूप से संपर्क में रहने के लिए कॉल सेंटर स्थापित किए हैं. कर्नाटक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने कहा, 'हमने प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में बेहतर व्यवस्था के लिए इन कॉल सेंटर्स को स्थापित किया है. इसके माध्यम से हम अपने कार्यकर्ताओं के साथ सीधे तौर पर संपर्क में रहेंगे. खास तौर पर बूथ स्तर पर, सीधे और वास्तविक प्रतिक्रिया प्राप्त कर सकें.'
कांग्रेस के 100 सदस्य हर कॉल सेंटर पर मौजूद रहेंगे. ये सदस्य पार्टी बूथ कार्यकर्ताओं, बूथ प्रतिनिधियों और अन्य कार्यकर्ताओं से संपर्क में रहेंगे और हर क्षेत्र की स्थिति पर नजर रखेंगे. दोनों कॉल सेंटर्स से मिलने वाली जानकारी और आंकड़ें पार्टी को अपने अभियान के साथ-साथ बूथ प्रबंधन को लेकर रणनीति बनाने में मदद करेंगे. गुंडू राव ने बताया, 'कॉल सेंटर्स के माध्यम से जानकारी का दो-तरफा प्रवाह रहेगा. इससे हमें बूथ स्तर की सभी जानकारी प्राप्त होगी और हम अपने कर्मचारियों को भी अपनी बात कह सकेंगे. साथ ही अगर हमारे कर्मचारियों को कोई समस्या होगी, तो उसका भी हल निकाला जा सकेगा.
12 मई ये वो तारीख है जब कर्नाटक विधानसभा चुनावों मे मतदाता राज्य के भाग्य का फैसला करेंगे. कर्नाटक चुनाव दोनों बड़े सियासी दलों के लिए अति महत्वपूर्ण है. बीजेपी जहा देश मे हर कही एक तरफ़ा जीत से ओत प्रोत हो कर एक और राज्य को भगुआ रंग मे रंगने को आतुर है साथ ही विजय रथ को आगे बढ़ाते हुए 2019 लोकसभा का शंखनाद भी अपने अंदाज मे ही करना चाहती है, तो दूसरी ओर कांग्रेस के लिए ये अस्तित्व को बचाने और पुनः उठ खड़े होने का मौका है. लगातार हार, भीतर घात, अकुशल नेतृत्व, मजबूत विपक्ष जैसे कई फैक्टर है जिन्होंने कांग्रेस को हाशिये पर ला खड़ा किया है. ऐसे मे कर्नाटक चुनाव कांग्रेस के लिए संजीवनी है. इस सूबे को जीत कर कांग्रेस सिर्फ एक राज्य नहीं जीतेगी अपितु फिर से पुनः गठन की ओर अपना पहला कदम भी बढ़ाएगी. देश की सियासत की दशा और दिशा के निर्धारण मे भी कर्नाटक चुनाव का अहम योगदान होगा. बीजेपी देश को भगुआ करने मे कोई कसर नहीं छोड़ेगी और बेहतरीन रणनीति, हवा का रुख और मोदी फेक्टर बीजेपी के लिए लगातार फायदे मंद साबित हो रहा है. ऐसे मे घमासान पक्का है. हालांकि कर्नाटक बीजेपी के लिए हमेशा से दूर की कौड़ी ही रहा है. इन सब सवालों के जवाब 15 मई को आने वाले परिणामों के साथ मिलेगा .
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