नई दिल्ली : कहते हैं कि नेताओं के वादे पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए और यदि वह वादा लम्बी जुबान वाले अरविंद केजरीवाल ने किया है, तो बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए.यह बात एक बार तब सच साबित हो गई,जब दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली में जारी सीलिंग के खिलाफ विरोध करते हुए व्यापारियों के हित में 31 मार्च से भूख हड़ताल पर बैठने की घोषणा करने के बाद अब उससे मुकर गए. इससे नाराज व्यापारी संगठन कैट ने इसे व्यापारियों के साथ धोखा बताते हुए उनसे इस्तीफे की मांग की है.
इस बारे में कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स यानी कैट के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल ने भूख हड़ताल स्थगित होने के बाद कहा कि सीएम अरविंद केजरीवाल द्वारा सीलिंग के खिलाफ 31 मार्च से शुरू होने वाले अनशन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाना राजनीतिक स्टंट है, जिसका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ व्यापारियों की सहानुभूति लेना है.कर्मचारियों की रोजी-रोटी से जुड़े इस बेहद गंभीर और संवेदनशील मुद्दे पर सीएम केजरीवाल ने राजनीति करके व्यापारियों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ किये जाने से दिल्ली के व्यापारी बेहद आहत हैं. व्यापारी संगठन ने अरविन्द केजरीवाल से इस्तीफे की मांग की है.
उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले अमर कॉलोनी में जाकर सीएम केजरीवाल ने 31 मार्च तक सीलिंग ना रुकने पर खुद भूख हड़ताल पर बैठने को कहा था.लेकिन अब उन्होंने इससे इंकार कर दिया है.व्यापारियों के अनुसार केजरीवाल के अनशन पर बैठने से सीलिंग के मुद्दे को ताकत मिलती, वहीं केंद्र पर भी प्रभाव पड़ता.वैसे सीएम केजरीवाल के अनशन को लेकर दिल्ली के व्यापारियों में शुरू से ही आशंका थीजो अनशन स्थगित होते ही हकीकत में बदल गई.व्यापारी मान रहे थे कि केजरीवाल के अनशन की घोषणा सस्ती लोकप्रियता कमाने की साजिश है.
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