किसी शायर ने सही कहा हैं,
‘कुछ तो मजबुरियां रही होंगी,
यूं ही कोई बेवफा नहीं होता।’’
लेकिन फेसबुकिया के नामुराद कीड़े कहां समझते होंगे की कोई लड़की यूं ही बेवफा नहीं होती। बेचारी, सोनम गुप्ता की भी कुछ तो मजबूरियां होगी। अब हम सोनम की पूरी दर्दभरी कहानी बयां करेंगे। जो हर सच्चे प्रेमी को रूला देगी। उनके अंदर की सच्ची मोहब्बत को जगा देगी।
सोनम गुप्ता एक खूबसूरत, कमसिन और बेहद ही खुशमिजाज लड़की है। सोनम का जन्म 1998 में हुआ था। इस हिसाब से उसकी उम्र 16 साल की थी। वह इंदौर एक निजी स्कूल में पढ़ती थी। सोनम का टांका उसकी क्लास के 17 साल के लड़के मोनू से भीड़ गया। बता दें, मोनू बेहद ही शांत स्वभाव का लड़का था लेकिन वह पढ़ने अव्वल था। धीरे-धीरे सोनम और मोनू की UNTOLD लव स्टोरी पूरे स्कूल में मोदी के 500 और 1000 के नोट बंद होने जैसी फैल गई। इसकी खबर जल्द ही सोनम के पिता ‘कटप्पा’ को लग गई।
वह एक दिन अपने बांउसरों के स्कूल आए, जहां उन्होंने मोनू को जान से मारने की धमकी दी। इसके बावजूद सोनम और मोनू मिलते रहे। अब तो सोनम और मोनू की मोहब्बत 2000 के नए नोट की तरह ‘पिंक’ हो गई। इसकी खबर जब सोनम के पिता ‘कटप्पा’ को लगी तो उसने सोनम को एक बंद कमरे में बंद कर दिया।
बेचारी! हालात की मारी सोनम करती भी क्या। ‘कटप्पा’ बेहद शातिर दिमाग का आदमी था। उसे पता था कि सोनम और मोनू की प्रेमकहानी को रोकना है तो सबसे पहले एंड्राइड फोन जब्त करना होगा। फिर क्या था उसने सोनम से उसका प्यारा आईफोन छीन लिया। इधर, मोनू व्हाट्सएप्प पर सोनम को लगातार मैसेज करता रहा। इसके बावजूद उससे कोई संपर्क नहीं हो पाया। एक दिन मोनू ने गुस्से में आकर सोनम को ‘मुन्नी’ जैसी बदनाम करने का प्लान बनाया। मोनू के एक सोशल मीडिया के कीड़े दोस्त ने उसे यह नोट पर नाम लिखने का यह घटिया आईडिया दिया।
बेचारी सोनम की इसमें क्या गलती थी। जब ‘कटप्पा’ का सामना बाहूबली नहीं कर सका तो बेचारी सोनम क्या करती।
इसलिए मित्रों, आपसे निवेदन है कि मासूम और बेकसूर सोनम को बदनाम होने से बचाए। उसके लिए चौराहे-चौराहे पर मोमबत्ती जलाए, नारे लगाए, सोशल मीडिया पर क्रांति करें।
अगर आप यह सब नहीं कर सकते तो ‘वसीम बरेलवी’ का यह शेर पढ़ लें। शुक्रिया!
‘‘मोहब्बत में बुरी नियत से कुछ सोचा नहीं जाता
कहा जाता है उसको बेवफा समझा नहीं जाता।’’
(यह एक काल्पनिक कहानी है।)