नई दिल्ली : आज पूरा देश 69 वां गणतंत्र दिवस मना रहा है. आज का दिन इसलिए खास है , क्योंकि पहली बार आसियान देशों के 10 राष्ट्र प्रमुख हमारे मेहमान बनकर आए हैं.वहीं अजा वर्ग के देश के पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद राजपथ पर राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे. राष्ट्र ध्वज सभी सरकारी इमारतों के अलावा विदेशों में दूतावासों पर फहराए जाते हैं.लेकिन क्या आपको पता है कि देश की आन, बान और शान के प्रतीक राष्ट्र ध्वज का निर्माण कहाँ होता है ? चलिए हम आपको इसकी रोचक जानकारी से रूबरू करवाते हैं .
बता दें कि राष्ट्र ध्वज का निर्माण कर्नाटक के हुबली शहर के बेंगेरी इलाके में कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ (फेडरेशन) द्वारा किया जाता है. यह ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) से प्रमाणित देश की अकेली संस्था है , जहाँ तिरंगे का निर्माण किया जाता है.कर्नाटक खादी ग्रामोद्योग संयुक्त संघ यूँ तो 1957 में शुरू हुआ ,लेकिन इसने 1982 से खादी बनाना शुरू किया.2005-06 में इसे बीआईएस से प्रमाणपत्र मिलने के बाद से इसने राष्ट्रीय ध्वज बनाना शुरू किया.
गौरतलब है कि राष्ट्र ध्वज के निर्माण के उपयोग के लिए बागलकोट इकाई में उच्च गुणवत्ता के कच्चे कॉटन से धागा बनाया जाता है .इसके बाद गाडनकेरी, बेलॉरू, तुलसीगिरी में कपड़ा तैयार करने के बाद हुबली यूनिट में डाई व बाकी की प्रक्रिया की जाती है . ध्वज का कपड़ा जींस से भी ज्यादा मजबूत होता है. केवल कॉटन और खादी से झंडे बनाए जाते हैं जिन्हें हाथ से मशीनों व चरखे के जरिए धागा बनाया जाता है.फ्लैग कोड ऑफ इंडिया 2002 के प्रावधानों के अनुसार ध्वज के आकार, रंग,अशोक चक्र की छपाई आदि की 18 विभागों में जाँच की जाती है, इसके बाद ही इसे बाहर भेजा जाता है.निर्माण में कोई त्रुटि होने पर इसे गंभीर अपराध माना जाता है और इसके लिए जुर्माना या जेल या दोनों की सजा दी जा सकती है.
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