डाकोर गुजरात के सबसे जाने माने और प्रमुख मंदिरो में से एक है .यहाँ कृष्ण जी की पूजा की जाती है. डाकोर का सर्वाधिक प्रसिद्ध मंदिर है रणछोड़ जी मंदिर . यह गोमती के किनारे बसा हुआ है.
प्राचीन मान्यता के अनुसार बाजे सिंह नाम का एक राजपूत था. वह डाकोर में रहता था. वह भगवान रणछोड़ का भक्त था. वह अपने हाथों पर तुलसी का पौधा उगाया करता था और साल में दो बार द्वारिका जा कर भगवान को तुसली दल अर्पित करता था. कई सालों तक वह ऐसा करता रहा.जब वह वृद्ध हो गया और चलने फिरने में असमर्थ हो गया, तब एक रात उसके सपने में भगवान ने दर्शन दिए. भगवान ने उससे कहा कि अब द्वारिका आने की कोई जरुरत नहीं है और उसे द्वारिका के मंदिर से भगवान की मूर्ति उठा कर डाकोर जी लाने को कहा.
बाजे सिंह ने भगवान के बताए हुए तरीके से आधी रात में द्वारिका के मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करके, भगवान की मूर्ति वहां से चुरा ली और यहां लाकर स्थापित कर दी.
कहते हैं कि सुबह जब मंदिर के दरवाजे खोले गए तब मंदिर से मूर्ति गायब होने की बात पता चली. यह बात जानने पर मूर्ति को ढूंढ़ना शुरू किया गया. यह बात पता चलने पर बाजे सिंह ने भगवान की मूर्ति यहां एक तालाब में छिपा दी. मूर्ति को ढूंढ़ने के लिए भालों से तालाब में टटोला जाने लगा. जिसके दौरान भाले की नोक मूर्ति में चुभ गई, जिसका निशान आज भी उस मूर्ति पर मौजूद है.
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