वैसे, इंद्रधनुष के सात रंगों को ही रंगों का जनक माना जाता है. ये सात रंग क्रमशः लाल, नारंगी, पीला, हरा, आसमानी, नीला तथा बैंगनी हैं. रंगों की उत्पत्ति का मुख्य स्त्रोत सूर्य है. सूर्य के प्रकाश में विभिन्न रंग मौजूद हैं. जिनके कारण ही इंद्रधनुष का जन्म होता है.
रंगों का धार्मिक महत्व
रंगों के विज्ञान को समझकर ही हमारे ऋषि-मुनियों ने धर्म में रंगों का समावेश किया है. पूजा के स्थान पर रंगोली बनाना रंगों के मनोविज्ञान को भी प्रदर्शित करता है. कुंकुम, हल्दी, अबीर, गुलाल, मेंहदी के रूप में पांच रंग हर पूजा में शामिल हैं. धर्म ध्वजाओं के रंग, तिलक के रंग, भगवान के वस्त्रों के रंग भी विशिष्ठ रखे जाते हैं. ताकि धर्म-कर्म के समय हम उन रंगों से प्रेरित हो सकें और हमारे अंदर उन रंगों के गुण आ सकें.
रंगों का वास्तु में महत्त्व:
शुभ रंग भाग्योदय कारक होते हैं और अशुभ रंग भाग्य में कमी करते हैं. विभिन्न रंगों को वास्तु के विभिन्न तत्त्वों का प्रतीक माना जाता है. नीला रंग जल का, भूरा पृथ्वी का और लाल अग्नि का प्रतीक है.