नवरात्री के बाद माँ दुर्गा का विसर्जन हो या गणेश चतुर्थी के बाद गणेशजी का विसर्जन हमारे मन में हमेशा ये बात आती है की आखिर ये विसर्जन किया क्यों जाता है.ऐसा क्यों हैं? यह बात बहुत कम लोगों को मालूम होगी दरअसल पुराणों में वर्णित है कि जल को ब्रह्म स्वरूप माना गया है
सृष्टि के शुरुआत जल में हुई है, और भविष्य में संभवतः इसका अंत जल में ही होगा जल बुद्घि और ज्ञान का प्रतीक है जल में ही यानी क्षीरसागर में श्रीहरि का निवास है मान्यता है कि जब जल में देव प्रतिमाओं को विसर्जित किया जाता है, तो देवी देवताओं का अंश मूर्ति से निकलकर वापस देवलोक में चला जाता है यानी परम ब्रह्म में परमात्मा लीन हो जाते हैं यही कारण है कि देवी और देवताओं की मूर्तियों और निर्मल को जल में विसर्जित किया जाता है
विसर्जन से सीखे ये बाते-
1-सभी का सम्मान करें
2-अस्थायी और नश्वर है जीवन
3-ईश्वर निराकार हैं
4-जीवन है तो जन्म-मृत्यु तो होगी ही, इसीलिए मोह-माया से दूर रहें
5-विसर्जन हमें तटस्थता के पाठ को सिखाता है.
गणेशजी की प्रतिमा से आती है सुख और शांति
जानिए क्यों किया जाता है गणेशजी का विसर्जन