हर व्यक्ति कि कोई ना कोई मुराद होती है और इसके लिए वह देवी देवताओं कि पूजा करता है लेकिन आप लोगो ने देवी देवताओं के अलावा पीपल के पेड़ कि पूजा करते तो देखा ही होगा, क्या आपको पता है कि पीपल के पेड़ कि ही पूजा क्यों कि जाती है? ये बात तो सभी जानना चाहते है तो आइये जानते है पीपल के पेड़ कि पूजा का राज़.
एक समय कि बात है स्वर्ग पर असुरों का राज हुआ करता था, तब कैटभ नाम का एक राक्षस पीपल का रूप धारण करके यज्ञ को नष्ट कर देता था, जब कोई साधू ब्राम्हण पीपल कि टहनियों को तोड़ने कि कोशिश करता तो राक्षस उसे खा जाता था ऋषिगण समझ नहीं पाते थे कि अन्य ऋषि गायब कहाँ हो जाते है तब सभी ऋषि मुनि सूर्यदेवता के पुत्र शनिदेव के पास गए और उनसे सहायता कि गुहार लगाईं, तब शनिदेव उनकी प्रार्थना सुनकर एक ऋषिमुनि के वेश धारण किये पीपल के पेड़ के पास गए.
तब कैटभ राक्षस ने उन्हें पकड़ लिया और दोनों के बीच युद्ध छिड़ गया, युद्ध में कैटभ राक्षस का वध हो गया तब सारे ऋषिमुनियों ने शनिदेव कि पूजा अर्चना कि, पूजा से प्रसन्न होकर शनिदेव ने ऋषिमुनियों से कहा कि आप सभी लोग भय मुक्त होकर अपना यज्ञ शुरू कीजिये अब कोई भी राक्षस आपको पीड़ा नहीं पहुंचा पायेगा, में इसी वृक्ष में निवास करके लोगो कि रक्षा करूँगा, और जो भी मनुष्य शनिवार के दिन पीपल के पेड़ कि पूजा करेगा में उसकी सहायता करूँगा, तभी से पीपल के पेड़ कि पूजा करके शनि दोष को दूर किया जाता है.
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