योग विज्ञान में व्यक्ति के सभी सातों चक्रों के विषय में जानकारी दी गई है, इसके अनुसार व्यक्ति योग साधना करके अपने चक्रों को सक्रीय कर सकता है. यदि किसी व्यक्ति के सातों चक्र सक्रीय हो जाते है, तो उसे बेहिसाब शक्ति प्राप्त होती है. किन्तु इन्हें सक्रीय करना आसान नहीं होता है. योग विज्ञान में बताया गया है, की जब व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसके प्राण इन्ही चक्रों के माध्यम से शरीर को त्यागते है.आइये विस्तार से जानते है. योग विज्ञान के अनुसार व्यक्ति के शरीर का पहला चक्र मूलाधार होता है, और अंतिम चक्र सहस्त्रार जो कि व्यक्ति के सबसे ऊपरी भाग सिर पर होता है. और इन्हीं दोनों चक्रों के बीच में बाकी के पांच चक्र होते है. जब कोई व्यक्ति अपनी मृत्यु के समय अपने प्राणों को त्यागता है, तो किसी एक निश्चित चक्र के द्वारा ही उसके प्राण निकलते है.
व्यक्ति के प्राण किस चक्र के माध्यम से निकलेंगे इसका निर्धारण व्यक्ति के कर्मो के द्वारा होता है, लेकिन आज के समय में अधिकतर व्यक्ति के प्राण के ही माध्यम से निकलते है. क्योंकि वह अपने जीवन काल में काम वासना को अधिक महत्व देता है, और उसी के आस-पास अपना सम्पूर्ण जीवन व्यतीत करता है.
यदि कोई व्यक्ति अपने जीवन काल में प्रेम का सही अर्थ समझकर काम वासना के मोह से मुक्त हो जाता है, तो ऐसे व्यक्तियों के प्राण ह्रदय केंद्र से निकलते है. और जो व्यक्ति अपने आप को सिद्ध कर पूर्ण रूप से विकसित हो जाते है वह अपने प्राणों को सहस्त्रार चक्र के माध्यम से त्यागते है. योग विज्ञान में यह भी कहा गया है, की व्यक्ति के प्राण जिस भी चक्र से निकलते है वह स्थान केंद्र बिंदु होता है जो व्यक्ति की मृत्यु के समय खुल जाता है.
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