हमारे धर्मशास्त्रों में बताया गया है की जिन लोगो की कुंडली में शनि का अशुभ प्रभाव हो तो उन लोगो को पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए, ऐसा माना जाता है की शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि का अशुभ प्रभाव खत्म हो जाता है. पर क्या आपको पता है की आखिर क्यों शनिदेव पीपल के पेड़ की पूजा करने से प्रसन्न होते है.कथाओं की मानें तो पीपल के पेड़ को शनिदेव का वरदान मिला था.
आइये जानते है की कैसे मिला था पीपल के पेड़ को शनिदेव का वरदान-
हमारी पौराणिक कथाओं के अनुसार बहुत समय पहले अगस्त्य ऋषि अपने शिष्यों के साथ दक्षिण दिशा में स्थित गोमती नदी के तट पर गए और वह दीक्षा लेकर एक वर्ष तक तप और यज्ञ करते रहे. उस समय स्वर्ग पर राक्षसों का राज चल रहा था जब अगस्त्य ऋषि तप में लीन थे तब कैटभ नाम के एक असुर पीपल का रूप लेकर उन्हें परेशान करने लगा. वो असुर ब्राह्मणों को मारकर खा जाता थे.जब भी कोई ब्राह्मण पीपल के पेड़ के पास जाता तो राक्षस उनको खा जाते.
इसी कारन धीरे धीरे ब्राम्हणो की संख्या कम होने लगी.यह देखकर अगस्त्य ऋषि चिंता में पड़ गए और मदद के लिए शनिदेव के पास गए. तब शनिदेव ब्राह्मण का रूप लेकर पीपल के पेड़ के पास गए. तब राक्षस शनि को साधारण ब्राह्मण समझ कर खा गया. और तब शनिदेव राक्षस के पेट फाड़कर बाहर निकले और उसका अंत किया.
तब ऋषि अगस्त्य ने प्रसन्न होकर शनि को बहुत आशीर्वाद दिया. तब शनिदेव ने भी प्रसन्न होकर वरदान दिया की जब भी कोई व्यक्ति शनिवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करेगा, उसके सभी कार्य पूरे होंगे. वहीं जो भी व्यक्ति इस पेड़ के पास स्नान, ध्यान, हवन और पूजा करेगा, उसे मेरी पीड़ा कभी भी झेलनी नहीं पड़ेगी.