जानिये कन्या भोज करते समय बालक का होना क्यों जरुरी होता है?

जानिये कन्या भोज करते समय बालक का होना क्यों जरुरी होता है?
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नवरात्रि में कन्याओं को माता का रूप माना जाता है इसलिए इस त्यौहार के चलते इन कन्याओं को घर बुलाकर इनकी पूजा की जाती है. और उन्हें भोजन कराया जाता है. ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक 9 कन्याओं को अधिक पूजा जाता है. क्योंकि 9 कन्या 9 देवियों का रूप होती है इनकी पूजा करने से दुर्गा माता प्रसन्न होती है और आशीर्वाद देती है. ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक 9 कन्या 9 देवियों का रूप होती है इसलिए जो भी मनुष्य इन नौ दिनों तक उपवास रखकर नौवे दिन इन कन्याओं को भोजन करवाता है उसे चिरंजीवी आशीर्वाद प्राप्त होता है.

आपको एक बात बता दें की कन्या पूजन और कन्या भोज के लिए कन्याओं की आयु दो वर्ष से 10 वर्ष तक होनी चाहिए. और इनकी संख्या कम से कम 9 तो होनी ही चाहिए और एक बालक भी होना चाहिए जिसे हनुमानजी का रूप माना जाता है. जिस प्रकार माँ की पूजा भैरव बाबा के दर्शन के बिना पूरी नहीं होती, ठीक  उसी तरह कन्या-पूजन के समय एक बालक को भी भोजन कराना बहुत जरूरी होता है. यदि 9 से ज्यादा कन्या भोज पर आ रही है तो कोई आपत्ति नहीं है.

नवरात्रों के दिनों में भारत में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है. पर कुछ लोग नवरात्रि के बाद यह सब भूल जाते हैं. बहूत जगह कन्याओं का शोषण होता है और उनका अपमान किया जाता है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए की कन्याएं और महिलायें देवियों का रूप होती है. इसलिए देवी तुल्य कन्‍याओं और महिलाओं का सम्मान करना चाहिए. इनका आदर करना ईश्‍वर की पूजा करने जितना पुण्य देता है. शास्‍त्रों में भी लिखा है कि जिस घर में औरत का सम्‍मान किया जाता है वहां भगवान खुद वास करते हैं.

 

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