सरस्वती को विद्या और बुद्धि की देवी माना गया है. बसंत पंचमी का दिन माँ सरस्वती की पूजा का खास दिन होता है. जिस तरह भगवान शंकर का वाहन नंदी, विष्णु का गरुड़, कार्तिकेय का मोर, दुर्गा का सिंह और श्रीगणेश का वाहन चूहा है, उसी तरह सरस्वती का वाहन हंस है.
यहां जानिए देवी सरस्वती का वाहन हंस क्यों है?
सरस्वती की पूजा-उपासना का फल ही हमारे अंत:करण में विवेक के रूप में प्रकाशित होता है. हंस के इस गुण को हम अपनी जिंदगी में अपना लें तो कभी असफल नहीं हो सकते. सच्ची विद्या वही है जिससे आत्मिक शांति प्राप्त हो.
सरस्वती का वाहन हंस हमें यही संदेश देता है कि हम पवित्र और श्रद्धावान बन कर ज्ञान प्राप्त करें और अपने जीवन को सफल बनाएं.
हंस एकनिष्ठ प्रेम का प्रतीक है. शास्त्रों में वर्णित हंस-हंसनी के प्रेम की कथाओं को आज विज्ञान ने भी सहमति दी है. हंस अपना जोड़ा एक ही बार बनाते हैं. यदि उनमें से किसी एक की मौत हो जाती है तो दूसरा उसके प्रेम में अपना जीवन बिता देता है, पर दूसरे को अपना जीवन साथी नहीं बनाता. हमारी परंपरा में भी हंस के इस प्रेम को मनुष्य के लिए आदर्श माना गया है.
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