नई दिल्ली. रसोई गैस के सिलेंडर से जुड़ी कुछ बातें जी आपका जानना ज़रूरी है, वह डिस्ट्रीब्यूटर छिपाते हैं. दरअसल, सिलेंडर खरीदते वक्त ही उसका इंश्योरेंस हो जाता है. 50 लाख रुपए तक होने वाला सिलेंडर का इंश्योरेंस इसकी एक्सपायरी से जुड़ा होता है. लोग एक्सपायरी डेट की जांच किए बिना ही इसे खरीद लेते हैं, क्योंकि उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं होती.
एक्सपायरी डेट सिलेन्डर पर पेंट द्वारा प्रिंट की जाती है. सिलेंडर की पट्टी पर ए, बी, सी, डी में से एक लेटर के साथ नंबर होते हैं. साल के 12 महीनों को चार हिस्सों में बांटकर सिलेंडर्स का ग्रुप ए, बी, सी, डी बनता है. 'ए' ग्रुप में जनवरी से मार्च , वहीं बी' ग्रुप अप्रैल से जून, 'सी' ग्रुप जुलाई से सितंबर और 'डी' ग्रुप अक्टूबर, से दिसंबर तक होता है. आगे लिखा नंबर साल बताता है. यानि अगर सी17 लिखा है तो इसका मतलब हुआ कि सितंबर, 2017 के बाद सिलेंडर का इस्तेमाल खतरनाक है. पेंट द्वारा प्रिंट करने के कारण लोग इसमें हेर-फेर कर देते हैं और जर्जर सिलेन्डर पकड़ाते हुए तर्क देते हैं कि लाते ले जाते समय उठा-पटक से कुछ सिलेंडर पुराने दिखते हैं.
यही नहीं, डिस्ट्रीब्यूटर यह भी नहीं बताते कि गैस कनेक्शन लेते ही उपभोक्ता का 10 से 25 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा हो जाता है. यानि अगर गैस सिलेंडर से हादसा होता है तो पीड़ित इंश्योरेंस का क्लेम कर सकता है. साथ ही, सामूहिक दुर्घटना होने पर 50 लाख रुपए तक का प्रावधान है.
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