बैतूल : यहां एक गांव की बालिकाओं ने अपने गांव को खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त कराने की कसम खा रखी है। इसके चलते ये बालिकाएं उन ग्रामीणों को बेशरम के फूल देती है, जिनके घर में शौचालय नहीं है और वे खुले में शौच जाते है। बेशरम के फूल मिलने के बाद अब अधिकांश ग्रामीणों ने अपने घरों में शौचालय बनाने का काम शुरू कर दिया है।
मामला तिवरखेड़ी नामक गांव का है। जानकारी मिली है कि इस गांव में लोगों के घरों में शौचालय नहीं है और वे इस कारण खुले में शौच करते है। लेकिन यह गांव की बालिकाओं को अच्छा नहीं लग रहा है क्योंकि उन्हें भी मजबूरीवश खुले में शौच जाने में शर्म महसूस होती है। लिहाजा बालिकाओं ने एका कर गांव को शौच मुक्त कराने का संकल्प ले लिया।
बालिकाएं न केवल ग्रामीणों से गांव को गंदा न करने के लिये कह रही है वहीं वे उन स्थानों पर भी बेशरम के फूल लेकर खड़ी हो जाती है, जहां ग्रामीण खुले में शौच करने के लिये जाते है। जैसे ही कोई व्यक्ति खुले में शौच करने आता है, उसे बालिकाएं बेशरम का फूल थमा देती है।
बेशरम के फूल मिलने पर लोग शर्म महसूस करने लगे है और इसका परिणाम अब गांव में शौचालय निर्माण के रूप में दिखाई देने लगा है। इस कार्य से प्रेरित होकर सरपंच विजय देशमुख और उपसरपंच किसन कुंभारे भी बालिकाओं के साथ आ गये है।