उज्जैन। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर कृषि प्रयोजन के लिये मुख्यमंत्री सोलर पम्प योजना की शुरूआत की गयी है। योजना के लिये राज्य शासन ने अधिसूचना जारी कर दी है। योजना का मुख्य उद्देश्य जिन क्षेत्रों में बिजली की उपलब्धता नहीं है, वहाँ सिंचाई की व्यवस्था, डीजल से सिंचाई वाले किसानों को वित्तीय भार से बचाना, विद्युत वितरण कम्पनी के अस्थाई विद्युत कनेक्शनों की संख्या में कमी लाना और डीजल पम्प से होने वाले प्रदूषण को कम करना है। अन्य उद्देश्यों में उत्पादकता बढ़ाने के लिये राज्य में सिंचित क्षेत्र बढ़ाना, किसानों को सक्षम बनाने के लिये बागवानी की फसलों को बढ़ावा देना एवं कुशल सिंचाई विधियों के माध्यम से भू-जल संरक्षण करना भी है।
योजना प्रदेश के उन दूर-दराज के क्षेत्र में क्रियान्वित होगी, जहाँ विद्युत अधोसंरचना का विकास नहीं हो सका है और कृषि पम्पों के लिये स्थाई विद्युत कनेक्शन नहीं हैं। योजना को समूह/क्लस्टर में लागू करने को प्राथमिकता दी जायेगी। योजना ऐसे श्रेणी के हितग्राहियों पर केन्द्रित रहेगी, उनमें ऐसे ग्राम/टोले/वन क्षेत्र या स्थल, जो वर्तमान में अविद्युतीकृत हैं और जहाँ अगले 2-3 वर्ष तक परम्परागत विद्युत पहुँचने की संभावना नहीं है। ऐसे विद्युतीकृत ग्राम-टोले, जिसमें सोलर पम्प का प्रस्तावित स्थापना स्थल विद्युत वितरण कम्पनी की विद्युत लाइन से कम से कम 300 मीटर दूर स्थित होना चाहिये।
नदी या बाँध के समीप ऐसे स्थान जहाँ पर पानी की पर्याप्त उपलब्धता हो एवं फसलों के चयन के कारण जहाँ पानी की पर्याप्त उपलब्धता तथा वॉटर पम्पिंग की आवश्यकता ज्यादा रहती हो। योजना का क्रियान्वयन उन क्षेत्रों में किया जाना प्रस्तावित है, जहाँ विद्युत वितरण कम्पनी की वाणिज्यिक हानि काफी ज्यादा है या फिर अत्यधिक राजस्व हानि के कारण विद्युत वितरण कम्पनी द्वारा ट्रांसफार्मर लिये गये हैं।