वकीलों ने किया शर्मसार - सुप्रीम कोर्ट
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संविधान पीठ की अध्यक्षता कर रहे प्रधान न्यायाधीश ने कहा, "बुधवार को जो कुछ भी हुआ, वह शर्मनाक है. मंगलवार को जो कुछ हुआ था, वह बहुत ज्यादा शर्मनाक है." उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से वकीलों के छोटे समूह का मानना है कि वे अपनी आवाज उठा सकते हैं. हम साफ-साफ बता रहे हैं कि आवाज उठाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. आवाज उठाना आपकी उपयुक्तता व अक्षमता का परिचायक है.

वकीलों के समूह को उनकी परंपरा की याद दिलाते हुए प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यह वकालत की परंपरा नहीं है. अगर वकीलों का संघ खुद का नियमन नहीं करता है, तो हम उस पर खुद के नियमन के लिए दबाव डालेंगे. गौरतलब है कि सिब्बल, धवन और दवे ने राम जन्मभूमि मामले में सुनवाई 2019 के आम चुनाव तक स्थगित करने की मांग की थी.

मगर रामलला कि और से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सी.एस. वैद्यनाथन को दलील पेश करने की कार्यवाही शुरू करने को कहा था. बाद में सुनवाई 8 फरवरी तक आगे बड़ा दी गई. अदालत ने वकीलों को ये हिदायत दी है कि किसी फैसले को लेकर वकील सख्त और रूढ़िवादी रुख नहीं अपना सकते. अदालत और वकालत दोनों कि गरिमा को बनाये रखना वकीलों की नैतिक जिम्मेदारी है.

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