लक्ष्मी के संदर्भ में यहां एक और कहानी प्रचलित है जो तीन दरवाजे के विपरीत स्थित भद्र किले की है और माना गया है कि यहां लक्ष्मी का हाथ है. कई समुदायों की औरतें यहां सिंदूर, कमल का फूल और अगरबत्ती चढ़ाती हैं. यहां से एक सड़क निकलती है जो सीधा उस गुफा की ओर जाती है जहां अनंत काल से वह दीपक जलता आ रहा है.
किले के दरवाजे के दाईं ओर हल्की नक्काशी के साथ लक्ष्मी का हाथ खुदा हुआ है. काफी ध्यान से देखने पर यह नजर आता है कि उनका हाथ काफी लंबा है पर उनकी हथेली एक युवा लड़की की तरह छोटी सी है. लेकिन कोहनी से कलाई तक उनके हाथ की लंबाई एक बूढ़ी औरत जितनी है. हाथ देखने पर ऐसा प्रतीत होता है कि शहर में प्रवेश करने से पहले वो यहां खड़ी हुई होंगीं और स्तंभ पर अपना हाथ टिका कर आराम कर रही होंगी.
कई जमाने से देवी लक्ष्मी के नाम का दिया जलाने की रस्म यहां होती आ रही है. यह बात रूचिकर है कि भद्र किले से तीन दरवाजे तक चलकर जाना पूजा का एक रूप बन गया है. तो अहमदाबाद में लक्ष्मी के आगमन की कहानी और यह लोकप्रिय विश्वास कि समृद्धि की देवी लक्ष्मी इस शहर में निवास करती हैं, इसके कारण शहर के ज्यादातर व्यावसायिक संगठन अपना काम शहर के इस हिस्से के दायरे में आने वाली छोटी-छोटी दुकानों से ही संभालते हैं चाहे भले ही पश्चिमी हिस्सों में उन्होंने बड़ी-बड़ी फेक्ट्रियां ही क्यों ना खोल रखी हों.
अहमदाबाद में रहती है धन की देवी लक्ष्मी