स्मार्टफोन मोबाइल की बैटरी में लिथियम का प्रयोग होता है. लिथियम का प्रयोग इसलिए होता है क्योंकि यह बहुत हल्का होता है. और ज्यादा ऊर्जा संचित कर सकता है. इस बैटरी में दो इलेक्ट्रोड होते हैं. एक इलेक्ट्रोड पर पॉजिटिव चार्ज वाले आयन होते हैं जिसे कैथोड कहते हैं. इसमें लिथियम भरा होता है. दूसरा इलेक्ट्रोड एनोड कहलाता है जिस पर नेगेटिव चार्ज वाले आयन होते हैं.
जब बैटरी डिस्चार्ज हो रही होती है तो ये आयन एनोड से कैथोड पर चले जाते हैं और जब मोबाइल को चार्ज किया जाता है तो लिथियम आयन कैथोड से एनोड पर जाने लगते हैं. इन दोनों इलेक्ट्रोडों के बीच कैमिकल का एक मिश्रण होता है जिसे इलेक्ट्रोलाइट कहते हैं. ये इलेक्ट्रोलाइट कैथोड और एनोड के बीच आयनों के स्थानांतरण को आसान बनाकर करंट का प्रवाह बना देता है. इसमें खास बात ये है कि इस दौरान कैथोड और एनोड एक दूसरे से कभी नहीं मिलने चाहिए.
जब बैट्री को अच्छे से चार्ज किया जाता है तो कैथोड से आने वाले आयनों के पास एनोड के इन छिद्रों में व्यवस्थित होने के लिए उचित समय होता है. लेकिन, जब फास्ट चार्जिंग होती है तो ये आयन तेजी से और ज्यादा संख्या में एनोड पर आते हैं.
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