आसाराम को आखिरकार नाबालिग लड़की से रेप केस में जोधपुर कोर्ट ने दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है. इसी के साथ आसाराम का देश और विदेश में फैला गौरखधंधा और बेशुमार साम्राज्य लावारिस हो गया है. साठ के दशक में आसाराम ने लीलाशाह से आध्यात्मिक दीक्षा लेने के बाद 1972 में अहमदाबाद से लगभग 10 किलोमीटर दूर मुटेरा कस्बे में अपनी पहली कुटिया बनाई. बस यही से गुजरात के शहरों और देशभर में आसाराम के साम्राज्य की शुरुआत हुई और कारवां विदेश में भी जा पहुंचा.
जून 2016 में आयकर विभाग ने आसाराम की 2300 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति उजागर की थी. आसाराम के लगभग 400 आश्रम दुनिया भर में है. इनके जरिए ही वह भक्तों से पैसा लेता था. आसाराम मशहूर हुआ और उसने अपनी भक्ति का कारोबार चंदे के पैसों से बढ़ाते हुए खुद को ब्रांड के रूप में पत्रिका, प्रार्थना पुस्तकें, सीडी, साबुन, धूपबत्ती आदि तक ला खड़ा किया. आश्रम से प्रकाशित दो पत्रिकाओं ऋषिप्रसाद और लोक कल्याण सेतु की 14 लाख कॉपी मंथली बिकती थीं, जिनसे सालाना 10 करोड़ रुपए के आसपास रकम आती थी.
आसाराम की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार आज दुनिया भर में उनके चार करोड़ अनुयायी हैं. भक्तों की संख्या बढ़ने के साथ ही राजनेताओं ने भी आसाराम से नाता जोड़ा जिनमे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, नितिन गडकरी, नरेंद्र मोदी, दिग्विजय सिंह, कमल नाथ और मोतीलाल वोरा जैसे वरिष्ठ नेता भी शामिल रहे.
आसाराम से पीएम मोदी का नाम जोड़ा तो फरहान ने लगाई फटकार
सभी ढोंगी बाबाओं का लेखा जोखा एक साथ