नवग्रहों में श्री शनिदेव का अपना अलग ही महत्व है। भगवान शनि देव बहुत जागृत हैं। उनकी कृपा से हर कार्य सरलता से हो जाते हैं यदि शनि की कृपा दृष्टि हो जाए तो श्रद्धालु तर जाता है और यदि शनि देव की वक्र दृष्टि और भी टेढ़ी हो जाए तो श्रद्धालु को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यही नहीं शनि धन - धान्य से संपन्नता लाते हैं और पुण्य फल बढ़ाते हैं। यूं तो देश में महाराष्ट्र के शिरडी से कुछ दूरी पर स्थित शनि शिंगणापुर एक जागृत शनि तीर्थ है जहां शनि की स्वयंभू शिला का पूजन किया जाता है।
मगर देश में ऐसे भी मंदिर हैं जहां शनि देव अपने श्रद्धालुओं को साक्षात् स्वरूप में दर्शन देते हैं। भगवान के ये दर्शन पाकर श्रद्धालु धन्य हो जाते हैं। भगवान शनि देव का यह मंदिर मध्यप्रदेश के धार्मिक पर्यटन नगर उज्जैन में है। उज्जैन इंदौर से करीब 53 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इंदौर रोड़ पर त्रिवेणी संगम के किनारे प्रतिष्ठापित इस मंदिर में भगवान शनि देव प्रतिष्ठापित हैं। इस मंदिर में जहां शनि देव की मूर्ति है वहीं यहां एक शिवलिंग भी है जिसके परिक्रमा मार्ग में नौ ग्रह प्रतिष्ठापित हैं।
परिक्रमा मार्ग में इन ग्रहों का दर्शन और पूजन भी किया जाता है। इसलिए इस मंदिर को नवग्रह शनि मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर अतिप्राचीन है और यहां आने वाले के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। मंदिर बेहद जागृत है। मंदिर पर बने घाट पर श्रद्धालु पवित्र शिप्रा, खान, लुप्त स्वरूप में सरस्वती और आघुनिक दौर में नर्मदा नदी के संगम में स्नान का पुण्यफल प्राप्त करते हैं। यहां शनिश्चरी अमावस्या पर मेला लगता है और श्रद्धालु इस संगम में स्नान करते हैं। श्रद्धालु यहां पनौती के तौर पर अपने जूते और पुराने परिधान त्यागते हैं और नए परिधान धारण करते हैं। वर्षों से चला आ रहा यह आयोजन ग्रामीणों की आस्था का केंद्र है।
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