नई दिल्ली: देश में पिछले कुछ दिनों से चर्चा में चल रहे मीटू मामलों में एक मामला बीसीसीआई से भी संबंधित है। जिसमें बोर्ड के सीईओ राहुल जौहरी पर यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगा है। जानकारी के अनुसार बता दें कि प्रशासकों की समिति सीओए की सदस्य डायना एडुल्जी जांच समिति के गठन से पहले ही बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी को बर्खास्त करने के पक्ष में थी और बुधवार को इस अधिकारी के यौन उत्पीड़न के आरोपों से दोषमुक्त होने के बाद भी उनका नजरिया नहीं बदला है।
भारत आॅस्ट्रेलिया मैच में गौतम गंभीर बने कॉमेंटेटर, आशीष नेहरा को खुद ही किया ट्रोल
यहां बता दें कि न्यायमूर्ति सेवानिवृत्त राकेश शर्मा, दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष बरखा सिंह और वकील कार्यकर्ता वीना गौड़ा ने बुधवार को जौहरी के पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन सीओए प्रमुख विनोद राय और एडुल्जी के बीच जांच समिति की रिपोर्ट पर मतभेद थे। वहीं वीना समिति की एकमात्र सदस्य थी जिन्होने एक मौके पर जौहरी के गैरपेशेवर आचरण का संज्ञान लिया और उनके लिए लैंगिक संवेदनशील काउंसिलिंग की सलाह दी। इसके अलावा बता दें कि एडुल्जी समिति के दो अन्य सदस्यों न्यायमूर्ति राकेश शर्मा और बरखा की सिफारिशों से सहमत नहीं थी। यहां बता दें कि दोनों ने जौहरी को किसी भी गलत काम से दोषमुक्त किया और आरोपों को मनगढ़ंत करार दिया है।
भारत बनाम आॅस्ट्रेलिया: ऑस्ट्रेलिया की टेस्ट टीम में शामिल हुए मार्कस हैरिस और क्रिस ट्रीमैन
वहीं रिपोर्ट में एडुल्जी के नजरिये के अनुसार समिति के प्रत्येक सदस्य की अंतिम सिफारिशों से गुजरने के बाद एडुल्जी ने कहा कि वह न्यायमूर्ति राकेश शर्मा और बरखा सिंह के निष्कर्ष से सहमत नहीं हैं। साथ ही एडुल्जी समिति के गठन के खिलाफ थी और चाहती थी कि आरोपों के आधार पर जौहरी को बर्खास्त किया जाए जबकि राय का मानना था कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के अनुसार किसी कार्रवाई से पहले जांच जरूरी है।
खबरें और भी
सैयद मोदी बैडमिंटन चैंपियनशिप: साइना और कश्यप ने जीत के साथ किया प्रतियोगिता का आगाज़