भोपाल: पंद्रहवीं विधानसभा के लिए संपन्न चुनाव में आधा दर्जन से ज्यादा बाबा साधु, संत, महंत राज नेताओं की भूमिका में नजर आए हैं। जानकारी के अनुसार बता दें कि मध्यप्रदेश में पहली बार इतनी संख्या में बाबाओं ने चुनाव में दिलचस्पी दिखाई है। वहीं इनमें से प्रांत के चर्चित कम्प्यूटर बाबा आखिर तक डटे रहे। बता दें कि अंतिम में तो कम्प्यूटर बाबा ने भाजपा को पराजित कराने के लिए कांग्रेस और हाल ही में अस्तित्व में आई सपाक्स पार्टी को भी खुला समर्थन दे दिया। जबकि दो अन्य संत नई पार्टी बनाकर मैदान में उतर आए।
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यहां बता दें कि उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को सत्ता के सिंहासन पर बैठने को मौका क्या मिला, मप्र के बाबा राजनीति में उतर आए। वहीं इस चुनाव में करीब आधा दर्जन बाबा सक्रिय थे। इनमें से ज्यादातर चुनाव लड़कर सत्ता में आना चाहते थे। यहां हम आपको बता दें कि कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर एट्रोसिटी एक्ट में हुए बदलाव को लेकर केंद्र और राज्य की भाजपा शासित सरकार से नाराज दिखे। वहीं ठाकुर ने इसका खुलकर विरोध किया और एक्ट में संशोधन न करने पर राजनीतिक रूप से भाजपा का सबक सिखाने का ऐलान किया।
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यहां बता दें कि जब भाजपा ने दी गई दो माह की समयसीमा में एक्ट में संशोधन नहीं किया, तो देवकीनंदन ठाकुर ने एक नवंबर को हिदुत्व या हिंदू समाज की रक्षा के नाम पर राजधानी में सर्व समाज कल्याण पार्टी का ऐलान किया। वहीं पार्टी ने विधानसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी भी उतारे, लेकिन पार्टी का ऐलान करने के बाद ठाकुर परिदृश्य से गायब हो गए। वे चुनाव प्रचार के दौरान सामने नहीं आए।
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