फ़ैजाबाद : यह सब जानते हैं कि अदालतों में क़ानूनी मामले जल्दी नहीं सुलझते. कई बार न्याय पाने की आस में पक्षकार की मौत तक हो जाती है, लेकिन कोर्ट का फैसला नहीं आता है. ऐसा ही कुछ हुआ रामजन्म भूमि मामले के प्रमुख पक्षकार महंत भास्कर दास के साथ. कल लम्बी बीमारी के बाद 89 वर्ष की आयु में अयोध्या में उनका निधन हो गया. मंगलवार को उन्हें सांस लेने में परेशानी और ब्रेन स्ट्रोक के कारण निजी अस्पताल में दाखिल किया गया था. जहाँ उन्होंने अंतिम साँस ली.
गौरतलब है कि महंत बलदेव दास निर्मोही अखाड़ा के शिष्य, महंत भास्कर दास गोरखपुर के रहने वाले थे. 16 वर्ष की आयु में वे अयोध्या की हनुमान गढ़ी पहुंचे थे. शिक्षा-दीक्षा के बाद उन्हें राम चबूतरे का पुजारी नियुक्त किया गया था. 1986 में भास्कर दास के गुरु भाई बाबा बजरंग दास के निधन होने पर हनुमान गढ़ी का महंत बनाया गया था. 1993 में सीढ़ीपुर मंदिर के महंत रामस्वरूप दास के निधन के पश्चात भास्कर दास को निर्मोही अखाड़े का सरपंच बना दिया गया. तब से यही निर्मोही अखाड़े के महंत रहे. वे रामजन्म भूमि मामले के प्रमुख पक्षकार थे.
इसे अजीब संयोग ही कहा जा सकता है कि इससे पहले बाबरी मस्जिद के सबसे बुजुर्ग पक्षकार हाशिम अंसारी का भी 20 जुलाई 2016 को 96 वर्ष की आयु में निधन हो चुका है. उन्होंने अयोध्या में मंदिर और मस्जिद पास -पास बनाने की बात कही थी. कोर्ट में विरोधी होने के बावजूद महंत भास्कर दास और हाशिम अंसारी के बीच अच्छे संबंध थे. दोनों पक्षकार इस मामले को जल्द से जल्द निपटाना चाहते थे. लेकिन उनके जीते जी यह न हो सका.
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