वर्तमान में नौकरी पाने के लिए या कार्य करने के लिए मानव के पास कई सारे विकल्प मौजूद है. उन्ही में से एक है, सांकेतिक भाषा (साइन लैंग्वेज). सांकेतिक भाषा सीखना भले ही आसान हो लेकिन इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए रचनात्मक सोच का होना काफी जरूरी है. साइन लैंग्वेज अर्थात मूक-बधिरों की भाषा सीखना आपके कॅरियर के नए रास्ते खोल सकती है. अगर आप सांकेतिक भाषा में माहिर है तो आप शिक्षा, समाज सेवा, सरकारी क्षेत्र, बिजनेस, परफॉर्मिंग आर्ट, मेंटल हेल्थ जैसे बहुत-से क्षेत्रों में नौकरी पा सकते हैं. तो आइये जानते है, सांकेतिक भाषा को और नजदीक से...
सांकेतिक भाषा की अहमियत
साइन लैंग्वेज इंटरप्रेटर अपने समक्ष व्यक्ति की बातों को सुनकर, समझकर, उसके शब्दों को अन्य दूसरे व्यक्ति को संकेतो के माध्यम से बताता है. भाषा संकेत अंग्रेजी भाषा में सबसे ज्यादा प्रचलित है. विद्यालय-महाविद्यालय में मूक-बधिर छात्रों के साथ-साथ सामान्य छात्र भी इस भाषा को समझने लगते है. इस विषय में स्नातक करने वाले छात्र शिक्षा के क्षेत्र में अपने करियर को नयी दिशा दे सकते है.
इनकम का बेहतर स्त्रोत
इस क्षेत्र में करियर बनाने वाले लोगो के पास अच्छी आय अर्जित करने का भी अवसर रहता है. खासकर अगर आप विदेशी एनजीओ या मेडिकल क्षेत्र से जुड़ते हैं तो शुरुआती स्तर पर आसानी से 20 से 25000 रु प्रतिमाह तक कमा सकते है. अनुभव बढ़ने के साथ इसमें वृद्धि होती जाती है.
कैसे होती है पढाई
देश में मूक-बधिर लोगो को शिक्षा प्रदान करने के दो तरीके है. 1.मौखिक संवाद. 2 भारतीय सांकेतिक भाषा. साइन लैंग्वेज में तीन से चार महीने के कोर्स के अलावा शारीरिक अशक्तता से ग्रस्त बच्चों के शिक्षण के लिए कई अन्य कोर्स भी मौजूद हैं, जिन्हें पूरा करने के बाद अच्छे रोजगार प्राप्त किए जा सकते हैं.
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इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी, दिल्ली.
अली यावर जंग नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर द हियरिंग हैंडीकैप्ट, मुंबई.
रामकृष्ण मिशन विवेकानंद यूनिवर्सिटी,कोयंबटूर.
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