मालदीव में सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के बीच तनातनी हो चुकी है, जिसके चलते मालदीव की राजधानी माले में हजारों लोग सरकार के विरोध में सड़कों पर उतर आये है. राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को मामने से इनकार कर दिया है, जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को नौ राजनीतिक कैदियों को रिहा करने और असंतुष्ट 12 सांसदों को बहाल करने की बात कही थी. सरकार ने इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने का विरोध करते हुए फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की थी.
लेकिन अदालत ने कहा है कि पहले सरकार पुराने फैसले का पालन करे, फिर याचिका स्वीकार की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अबदुल्ला सईद ने कहा कि असंतुष्टों को जरूर रिहा किया जाना चाहिए, क्योंकि उनके खिलाफ मुकदमा राजनीति और दुर्भावना से प्रेरित था. चीफ जस्टिस अबदुल्ला सईद ने दावा किया है कि उन्हें और साथी जजों अली हमीद और न्यायिक अधिकारी हसन हसीद को धमकी भरे फोन आ रहे हैं. उन्होंने कहा कि वे रात में भी अदालत में ही रुकेंगे. सुरक्षा बलों और पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को घेरा हुआ है.
कोर्ट ने कहा, 'पुराने आदेश का पालन होने और कैदियों को रिहा करने के बाद सरकार फिर से उनके खिलाफ मुकदमा चला सकती है.' आपको बता दें कि 12 सांसदों को बहाल करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश से यामीन की पार्टी अल्पमत में आ जाएगी और उन पर महाभियोग का खतरा भी मंडरा सकता है. ये सांसद सत्ता पक्ष से अलग होकर विपक्ष में शामिल हो गए थे.
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