कोलकाता: पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने आने वाली नवरात्रि को लेकर इस साल एक बड़ा फैसला लिया है. अक्सर हिन्दू विरोधी वक्तव्य और राजनीति करने वाली ममता बनर्जी की सरकार ने इस बार दुर्गापूजा समितियों को 28 करोड़ रूपये देने की घोषणा की है, अनुमान है इससे सरकार को 28 लाख रुपये का बोझ आएगा. हर समिति को 10 हज़ार नकद और लाइसेंस में छूट के साथ अन्य सुविधाएँ भी दी जाने की बात कही गई है. समितियों के लिए पावर टैरिफ को 23 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है.
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ममता ने इसे 'सामुदायिक विकास' के लिए तोहफा बताया है. ममता सरकार ने अप्रत्यक्ष रूप से ख़राब अर्थव्यवस्था के लिए आलोचना झेल रही केंद्र सरकार से जोड़ा है. ममता ने कहा की बाज़ार मंदा है, पर बाहर के लालच में ना पड़ें, दूसरों के हाथ ना बिकें, समय की कमी के चलते वह हर पंडाल में नहीं पहुँच सकती, लेकिन टीवी पर वह हर समिति की कवरेज देखेंगी. साथ ही उन्होंने कहा कि 'याद रखियेगा दीदी हर पूजा में शामिल है'. ममता ने आगे कहा 'यह रक़म कम नहीं है, कम से कम चावल और कपडा तो दे सकती हूँ. पूजा बंगाल का त्यौहार है, और जो कर सकती थी किया'. छोटे बजट की समितियों ने इस फैसले का स्वागत किया है. इससे उनपर 15 हजार तक भार हल्का होगा और लगभग 15 हजार तक की बचत भी होगी.
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भाजपा और लेफ्ट दोनों ने इसे तुष्टिकरण के लिए लिया गया फैसला बताया है. बीजेपी बंगाल के उपाध्यक्ष राहुल सिन्हा ने कहा कि यह और अच्छा होता यदि वह इस रक़म को बंगाल में गरीबों के लिए खर्च करतीं. सी.पी.एम. नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा पहले उन्होंने आम कर दाताओं को दबाया,फिर लोकल क्लब को छूट देनी शुरू की और अब पूजा समितियों को पैसे देना सम्प्रदायिक का उदाहरण है जिसका राज्य पर विपरीत असर पड़ेगा.
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