विवाहित महिला के गले में आपने अक्सर मंगलसूत्र तो देखा ही होगा और यह मंगलसूत्र महिलाएं कोई आज से नहीं बल्कि आदिकाल से पहनती हुई आ रही है। इसका महत्व आज से नहीं बल्कि आदिकाल से चला आ रहा है। अक्सर आप देखते हैं कि मंगलसूत्र में कई तरह के मोती भी होते हैं, जिनमें काले-पीले मोती होते हैं। कई बार यह मोती पैंडेट के साथ भी एक धागे में पिरोए जाते हैं। मंगलसूत्र का मानव जीवन में काफी महत्व को बताया गया है इसकी तुलना अन्य आभूषण से नहीं कि जाती। मंगलसूत्र को विवाह का प्रती चिन्ह और सुहाग की निशानी मानी जाती है। इसलिए विवाह के बाद ही स्त्रीयां इसे अपने गले में धारण करती हैं। आज हम आपसे मंगलसूत्र से जुड़े कुछ रोचक तथ्य के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बारे में शायद आप भी नहीं जानते होंगे।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सोना गुरू के प्रभाव में होता है। गुरू ग्रह को वैवाहिक जीवन में खुशहाली, संपत्ति एवं ज्ञान का कारक माना जाता है। यह धर्म का कारक भी है। काला रंग शनि का प्रतीक माना जाता है। शनि स्थायित्व एवं निष्ठा का कारक ग्रह होता है। गुरू और शनि के बीच सम संबंध होने के कारण मंगलसूत्र वैवाहिक जीवन में सुख एवं स्थायित्व लाने वाला माना जाता है।
मंगलसत्र में काले रंग के मोतियों की लडियां, मोर एवं लॉकेट की उपस्थिति अनिवार्य मानी गई है। इसके पीछे मान्यता यह है कि लॉकेट अमंगल की आशंकाओं से स्त्री के सुहाग की रक्षा करता है, तो मोर पति के प्रति श्रद्धा और प्रेम का प्रतीक है और काले रंग के मोती बुरी नजर से बचाते हैं।
हर स्त्री को मंगलसूत्र विवाह पर पति द्वारा पहनाया जाता है जिसे वह स्त्री पति की मृत्यु पर ही उतार कर पति को अर्पित करती है। उसके पूर्व किसी भी परिस्थिति में मंगलसूत्र को उतारना मना है। इसका खोना या टूटना अपशकुन माना गया है।
मंगलसूत्र पति के प्रति प्रेम और आदर का चिह्न होता है। मान्यता है कि इससे पति पर आने वाली विपत्तियां दूर होती है।
अधिकांश महिलाएं सोने के मंगलसूत्र पहनना पसंद करती हैं। सोना शरीर में बल और ओज बढाने वाली धातु है तथा समृद्धि का प्रतीक है।
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