बुधवार को आवास राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्वच्छता सर्वेक्षण 2018 के परिणाम की घोषणा की उसमें इंदौर सबसे स्वच्छ शहर के रूप में चुना गया है. लगातार दो साल तक स्वच्छता में नंबर एक आने के पीछे जिला प्रशासन, नगर निगम और शहर की जनता ने खूब मेहनत की है. शहर की साफ सफाई में सफाई कर्मियों ने उल्लेखनीय काम किया है. शहर की जनता ने भी बढ़-चढ़ कर स्वच्छता के कामो में सहयोग दिया है. शहर में हुए स्वच्छता के काम से साफ सफाई के अलावा भी कई फायदा हुआ है.
स्वच्छता के इन कार्यों शहर के प्रदुषण स्तर में 14 प्रतिशत तक की कमी आयी है. पर्यावरण के स्तरों में ये सुधार पिछले डेढ़ वर्षो में देखा गया है. साल 2016 के मुकाबले 2017 में प्रदूषण के स्तरों में 14 प्रतिशत की कमी आयी है. प्रदूषणों के स्तरों का पता प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में चला है. प्रदूषण के स्तरों में कमी मुख्य रूप से पीएम-10 कणों में आयी कमी कि कमी से हुई है. यही नहीं शहर में स्वच्छता से बीमारियों कि संख्या में बभी कमी आयी है. इससे लोगों कि सेहत पर अच्छे परिणाम देखने को मिले है. बीमारियों कि जख्मी पर नजर डाले तो मलेरिया, डायरिया और डेंगू जैसी बड़ी बीमारियों में बभी कमी देखी गई है.
स्वच्छता अभियान के तहत शहर कि सड़कों की सफाई पर खासा ध्यान दिया जाता है. इससे सबसे बड़ा फायदा ये रहा है की सड़को पर धूल भी कम देखने को मिल रही हैं.
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