शहीद दिवस: देश तुम्हें आज भी बहुत याद करता है भगत...

शहीद दिवस: देश तुम्हें आज भी बहुत याद करता है भगत...
Share:

आज ही के दिन शहीद भगतसिंह, शहीद सुखदेव और शहीद राजगुरु को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दी थी. भगतसिंह के बारे में आज तक जितना लिखा गया है, सब कुछ कम है. मुझे नहीं लगता कि भगतसिंह के सभी विचारों को शब्दों में पिरोना आसान है. मात्र 23 साल 5 महीने 26 दिन की उम्र में इतनी बड़ी सोच से एक आंदोलन खड़ा करना और फिर उसे अपने मुकाम तक ले जाना, आज के दौर के युवा के लिए शायद सोचना भी दूर की बात है. एक ऐसा मुकाम जिसकी ख़ुशी शायद भगतसिंह भी नहीं मना पाए, लेकिन जो उन्होंने हम लोगों के लिए किया उसका एहसान शायद आने वाली नस्लें कभी उतार नहीं पाएगी.

क्यों आज के वक़्त में भगत सिंह के विचारों की जरूरत है? :

भगत सिंह के द्वारा आजादी के लिए किया गया संघर्ष मुख्य रूप से देखा जाए तो 1925 से 23 मार्च 1931 के दौरान था, उस समय और आज के हालातों की तुलना अगर साम्प्रदायिक तरीके से की जाए तो मुझे नहीं लगता कोई ख़ास फर्क होगा. भगत सिंह और उनके साथियों ने अपने इसी दौर में एक तरफ जहाँ अंग्रेजों से लड़ाई लड़ी वहीं उनके सामने साम्प्रदायिकता बहुत बड़े संकट के रूप में हमेशा देश की आजादी में अड़चन डालती रही. ये मैं नहीं बोल रहा हूँ, भगत सिंह ने खुद अपने एक पत्र में इसका जिक्र करते हुए लिखा था कि "आजादी के संघर्ष में हिन्दू-मुस्लिम के दंगे सबसे बड़ी अड़चन है"

हालाँकि यह दंगे अंग्रेजों की फुट डालो और शासन करो की नीति थी लेकिन फिर भी एक तरफ जहाँ क्रांतिकारी अपने संघर्ष से अंग्रेजों से लड़ने का काम कर रहे थे वहीं दूसरी और साम्प्रदायिक ताकतें देश को खोखला करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी. इन दंगों का विपरीत परिणाम भगत सिंह पर ये रहा कि भगत सिंह ने धर्म और मज़हब जैसी चीजों से खुद को काफी दूर कर एक सच्चे क्रांतिकारी के रूप में अपने विचारों से खुद को देश के समक्ष खड़ा किया.

आज मैं दुःख के साथ यह कह सकता हूँ कि भगत सिंह हमारे बीच होते तो बेहद दुखी होते, भगत सिंह के चले जाने के बाद देश को आज तक उनकी कमी खलती रही है. आज अगर इन साम्प्रदायिक ताकतों से हमे लड़ना हो तो सिर्फ भगतसिंह के विचार ही काफी है, बशर्ते वह विचार पढ़े जाए और उन विचारों पर विचार किया जाए. आज का युवा भगतसिंह को पढ़ने से ज्यादा भगतसिंह की टी-शर्ट पहनने और स्मार्टफोन में भगतसिंह की प्रोफाइल सेट करने को ज्यादा तवज्जों देता है. ये बिल्कुल भी गलत नहीं है लेकिन इन चीजों की आड़ में भगतसिंह के विचार कहीं गुम होते दिखाई पड़ते है, जो सोचने वाला विषय है. 

शहीद दिवस: शहीदे आजम भगत सिंह से जुडी ये बातें कोई नहीं जानता

शहीद दिवस: भारत सरकार ने नहीं दिया है भगत सिंह को शहीद का दर्जा

शहीद दिवस: देशभक्ति का दूसरा नाम 'भगत सिंह'

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -