दिल्ली: एचआईवी एड्स हमारे समाज में एक सतत स्वास्थ्य समस्या है. अभी तक अभी भी कोई ज्ञात टीका नहीं है जिसका उपयोग इस घातक संक्रमण के प्रवाह को रोकने के लिए किया जा सकता है. टीके की निरंतर आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल एक दिन अलग किया जाता है जिसे एचआईवी टीका जागरूकता दिवस या विश्व एड्स दिवस के रूप में जाना जाता है. यह हर साल 18 मई को आयोजित होता है
सम्पूर्ण विश्व में 18 मई को विश्व एड्स टीका दिवस मनाया जाता है. पहला विश्व एड्स टीका दिवस 18 मई 1998 को मनाया गया था. इस दिवस पर भारत ने एड्स का टीका विकसित करने के प्रति अपनी वचनबद्धता दोहराई. और साथ ही टीके की आवश्यकता के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है.
एक रिसर्च के मुताबिक पता चला है कि 68 प्रतिशत भारतीयों को एडल्ट वैक्सीनेशन के बारे में मालूम नहीं है. इस अध्ययन में शामिल हुए ज़्यादातर लोगों को सिर्फ यही मालूम है कि टीकाकरण यानी वैक्सीनेशन बच्चों के लिए ही होता है.
बता दें कि हर साल 1 दिसम्बर विश्व एड्स दिवस के तौर पर मानाया जाता है. इसका उद्देश्य एचआईवी के लिए जागरुकता बढ़ाना होता है. पहली बार विश्व एड्स दिवस 1988 में मनाया गया. तब से अब तक इस बीमारी की चपेट से लोगों को बचाने के लिए सरकार द्वारा तरह-तरह के कार्यक्रम चलाये जाते रहे हैं
जानिए क्या हैं विटामिन एन के फायदे
खून की कमी को पूरा करते हैं ये सुपर फूड्स