यरूशलेम: इसराइलियों और फ़लस्तीनियों के पवित्र शहर यरूशलम को लेकर विवाद बहुत पुराना और ग़हरा है. यरूशलम इसराइल-अरब तनाव में सबसे विवादित मुद्दा है. ये शहर इस्लाम, यहूदी और ईसाई धर्मों में बेहद अहम स्थान रखता है. पैगंबर इब्राहीम को अपने इतिहास से जोड़ने वाले ये तीनों ही धर्म यरूशलम को अपना पवित्र स्थान मानते हैं. यही वजह है कि सदियों से मुसलमानों, यहूदियों और ईसाइयों के दिल में इस शहर का नाम बसता रहा है. हिब्रू भाषा में येरूशलायीम और अरबी में अल-कुद्स के नाम से जाना जाने वाला ये शहर दुनिया के सबसे प्राचीन शहरों में से एक है.
यरूशलेम पर अपना-अपना स्वामित्व सिद्ध करने की लड़ाई भी बहुत पुरानी है, इसी कड़ी में अब जेरुसलम और फिलिस्तीन के ग्रैंड मुफ़्ती शेख मोहम्मद हुसैन ने एक निर्णय जारी किया है की जिसमे जेरूसलम में किसी भी प्रकार की संपत्ति की बिक्री पर रोक लगा दी है. उन्होंने कहा की "जेरूसलम और अल-अक्सा मस्जिद इस्लाम की देन है, जिन्हें बेचा नहीं जा सकता, यह हमें विरासत में मिला है और किसी को भी यह छोड़ने का अधिकार नहीं है.
जेरूसलम और अल -अक्सा मस्जिद के कुछ भागों को अलग करना दुश्मनों के लिए मक्का और मदीना को त्याग करने जैसा है, मेम्बर ऑफ़ कमिटी फॉर द डिफेंस ऑफ़ लैंड एंड रियल एस्टेट , सिल्वान फाखरी अबू दिअद ने कहा की "इजराइल ने गैर-क़ानूनी तरीकों और धोखा बाजी करके क्षेत्र में जमीन के एक बड़े हिस्से में अपना कब्जा कर लिया है और जिसमे कुछ हिस्सा जमीन का बेच भी दिया है." आपको बता दें कि इजरायल की सरकार ने सिलवान के लगभग 13 प्रतिशत भाग पर कब्ज़ा कर लिया है, जिसमें 5,640 डूनम्स (5.6 वर्ग किलोमीटर) का क्षेत्र है, जो ज्यादातर अनुपस्थित संपत्ति कानून या विनियोग का उपयोग करते हैं.
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